'Demand-Driven' मोड का मूल रूप से मतलब है कि जब सैटेलाइट लॉन्च किया जाता है, तो यह पहले ही पता चल जाता है कि अंतिम ग्राहक कौन होने जा रहे हैं और किस तरह का उपयोग और प्रतिबद्धता होगी, ताकि कक्षा में जाने के बाद आप इस उपग्रह क्षमता का बहुत प्रभावी उपयोग कर सकें।