पिछले कुछ वर्षों में क्लाइमेट चेंज से होने वाले नुकसान के बहुत से संकेत मिले हैं। इसी कड़ी में अमेरिका के दक्षिण फ्लोरिडा में समुद्र के पानी का तापमान इस सप्ताह की शुरुआत में 100 डिग्री फैरेनहाइट (37.8 C) से ज्यादा हो गया था। यह एक नया रिकॉर्ड है। आमतौर पर, इस तापमान को गर्म पानी के टब से जोड़ा जाता है।
यह तापमान मियामी के 60 किलोमीटर दक्षिणपश्चिम में Manatee Bay में लगभग पांच फीट की गहराई पर दर्ज किया गया। इस समुद्र का उच्च
तापमान 101.1 डिग्री फैरेनहाइट था। हालांकि, यह लगभग चार घंटे तक 100 डिग्री फैरेनहाइट से ऊपर बना रहा। मीटिओरोलॉजिस्ट Jeff Masters ने ट्वीट कर बताया कि समुद्र की सतह के तापमान का कोई आधिकारिक वर्ल्ड रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि, लगभग तीन वर्ष पहले एक साइंटिफिक पेपर में 99.7 डिग्री फैरेनहाइट का पिछला उच्च तापमान कुवैत की खाड़ी में पाया गया था। इसके साथ ही उनका कहना था कि फ्लोरिडा में समुद्र का तापमान जमीन के निकट लिया गया है। इस वजह से जमीन पर मौजूद कुछ मैटीरियल का इस पर असर हो सकता है।
Jeff ने कहा, "इस पानी में मलबे की मौजूदगी नहीं होने का प्रमाण मिलने पर ही इस उच्च तापमान को वैध करार दिया जा सकता है।" समुद्र के गर्म पानी की यह स्थिति कुछ लोगों को पसंद आ सकती है लेकिन बहुत अधिक गर्मी कोरल रीफ और ऐसी प्रजातियों के लिए हानिकारक है जो समुद्र के पानी पर निर्भर करते हैं।
हाल ही में एक साइंटिफिक पेपर में बताया गया था कि दुनिया के समुद्रों में से 56 प्रतिशत से अधिक के रंग में बड़ा बदलाव हुआ है। इसका कारण मानवीय कारणों से हो रहा जलवायु परिवर्तन हो सकता है। इन समुद्रों का आकार धरती पर कुल जमीन से बड़ा है। समुद्र का रंग इसके पानी में जीवन और सामग्रियों का संकेत देता है। इक्वेटर के निकट के रीजंस में यह रंग समय के ज्यादा हरा हुआ है। इससे समुद्रों की सतह के अंदर इकोसिस्टम में बदलाव का पता चल रहा है। अमेरिका के Massachusetts Institute of Technology (MIT) के रिसर्चर्स ने
Nature जर्नल में प्रकाशित पेपर में लिखा है कि रंग में यह बदलाव लोगों को आंख से कम दिखता है और इसे वर्ष-दर-वर्ष अंतर के तौर पर समझाया नहीं जा सकता। रिसर्चर्स ने बताया है कि इक्वेटर के निकट के रीजंस में समय के साथ यह ज्यादा हरा हो गया है।