नींद के दौरान आंखों के मूवमेंट से यह संकेत मिल सकता है कि आप सपने में कहां देख रहे हैं। दुनिया भर में रिसर्चर्स के लिए नींद की वह अवधि जिज्ञासा का एक विषय रही है जिसमें पलकों के नीचे आंखों का मूवमेंट होता है। इस अवधि को रैपिड आई मूवमेंट (REM) स्लीप कहा जाता है।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की एक
स्टडी में मस्तिष्क के नींद में होने पर उसकी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापने की कोशिश की गई है। पिछली स्टडीज में लोगों की आंखों के मूवमेंट की निगरानी कर दो तथ्यों के बीच संबंध का पता लगाने की कोशिश की गई थी। इनमें जागने पर लोगों से पूछा गया था कि उन्होंने सपने में क्या देखा था। हालांकि, इन स्टडीज के परिणाम सटीक नहीं थे। इसका कारण सपनों के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिलना और आंखों के मूवमेंट की बताए गए सपने में विशेष मूमेंट के साथ मिलाने करने की तकनीकी क्षमता सीमित होना हो सकता है।
जर्नल साइंस में प्रकाशित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की स्टडी में मनुष्यों के बजाय चूहे का अवलोकन किया गया था। इसका कारण चूहों को भी REM स्लीप का एक्सपीरिएंस होना है। रिसर्चर्स ने चूहे के थलामस में नर्व सेल्स की एक्टिविटी की निगरानी की थी। थलामस एक प्रकार का आंतरिक कम्पास होता है जो एक विशेष दिशा में सिर के घूमने के लिए जिम्मेदार होता है। रिसर्चर्स ने चूहे के जागने के दौरान उसकी न्यूरल एक्टिविटी को कैमरों से रिकॉर्ड किया था। इसके बाद चूहे के नींद में होने पर सेंसर्स ने आंखों के मूवमेंट की
निगरानी की थी। इसका इस्तेमाल REM स्लीप के दौरान आंखों के मूवमेंट और उसकी मानसिक स्थिति की दिशा के बीच संबंध को तय करने के लिए किया गया।
निष्कर्ष से पता चला कि चूहे के नींद में होने पर उसकी आंखों का मूवमेंट सिर की दिशा में बदलाव के साथ पूरी तरह मेल खा रहा था। इसका मतलब है कि REM स्लीप के दौरान आंखों के मूवमेंट से सपनों का संकेत मिल सकता है। स्टडी में यह तय किया जा सका है कि सिर की दिशा पर नियंत्रण करने वाला मस्तिष्क का एक हिस्सा उस हिस्से के साथ समन्वय रखता है जो REM स्लीप के दौरान आंखों के मूवमेंट को नियंत्रित करता है। रिसर्चर्स का कहना है कि उन्हें यह विश्वास है कि इस स्टडी से यह समझने में मदद मिलेगी कि नींद के दौरान मस्तिष्क किस तरह कार्य करता है।
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