• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • गजब! स्‍पेस मिशन लॉन्‍च करने के लिए नहीं चाहिए होगा रॉकेट! चीन बना रहा नई चीज, जानें

गजब! स्‍पेस मिशन लॉन्‍च करने के लिए नहीं चाहिए होगा रॉकेट! चीन बना रहा नई चीज, जानें

इस सिस्‍टम को ‘रेल गन’ (rail gun) कहा जाता है, जिसका डिजाइन तैयार है।

गजब! स्‍पेस मिशन लॉन्‍च करने के लिए नहीं चाहिए होगा रॉकेट! चीन बना रहा नई चीज, जानें

चीन इस प्रोजेक्‍ट पर काम करने वाला पहला देश नहीं है। साल 1990 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने इस पर काम शुरू किया था।

ख़ास बातें
  • विद्युत चुंबकीय लॉन्‍च ट्रैक पर काम कर रहे चीनी वैज्ञानिक
  • विशाल स्‍पेसप्‍लेन को लॉन्‍च करने में करेगा मदद
  • नासा भी कर चुकी है कोशिश, नहीं मिली थी व्‍यापक सफलता
विज्ञापन
दुनिया की सभी स्‍पेस एजेंसियां ‘अंतरिक्ष' में अपने मिशन लॉन्‍च करने के लिए पावरफुल रॉकेट का इस्‍तेमाल करती हैं। हाल ही में एलन मस्‍क की स्‍पेस कंपनी ‘स्‍पेसएक्‍स' (SpaceX) ने दुनिया की सबसे भारी रॉकेट को तीसरी बार टेस्‍ट किया। लेकिन चीनी वैज्ञानिक एक नई दिशा में काम कर रहे हैं। भारी-भरकम पावरफुल रॉकेट के बजाए वो एक विशाल विद्युत चुंबकीय लॉन्‍च ट्रैक (electromagnetic launch track) पर काम कर रहे हैं। इसकी मदद से बोइंग 737 से भी लंबे 50 टन के विशाल स्‍पेसप्‍लेन को लॉन्‍च करने की कोशिश की जाएगी। 

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इस सिस्‍टम को ‘रेल गन' (rail gun) कहा जाता है। सिस्‍टम का डिजाइन तैयार है। इसकी मदद से हाइपरसोनिक विमान को मैक 1.6 तक की स्‍पीड तक ले जाया जा सकता है, जिससे ऑब्‍जेक्‍ट को स्‍पेस में भेजने का टार्गेट पूरा किया जा सकता है। 

दिलचस्‍प यह है कि चीन इस प्रोजेक्‍ट पर काम करने वाला पहला देश नहीं है। साल 1990 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने इस पर काम शुरू किया था। लेकिन फंडिंग में कमी और तकनीकी चुनौतियों के कारण प्रोजेक्‍ट को बीच में ही बंद कर दिया गया। 

बाद में अमेरिकी सेना ने एयरक्राफ्ट कैरियर्स से विमानों को लॉन्च करने के लिए कम स्‍पीड वाले विद्युत चुंबकीय लॉन्‍च ट्रैक डेवलप किए। यह शुरुआती कोशिश थी, जिसमें तकनीकी समस्‍याएं आती रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सेना ने विद्युत चुंबकीय लॉन्‍च पैड तैयार करने की ज्‍यादातर कोशिशें बंद कर दी हैं, लेकिन चीन इस दिशा में लगातार काम कर रहा है। 

अबतक किए गए टेस्‍टों में चीनी वैज्ञानिकों को पता चला है कि रॉकेट के फर्स्‍ट स्‍टेज की जरूरत को खत्‍म करने के लिए उन्‍हें एयरक्राफ्ट की स्‍पीड को तेज करने की जरूरत है। अगर वैज्ञानिक अपनी कोशिश में कामयाब हो जाते हैं तो स्‍पेसक्राफ्ट को कम फ्यूल के साथ स्‍पेस में पहुंचाया जा सकेगा। इससे पैसों की काफी बचत होगी। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Ursid Meteor Shower 2024: दिसंबर में इस दिन होगी उल्काओं की बारिश! ऐसे देखें अद्भुत नजारा
  2. JioTag Go vs JioTag Air: Rs 1,499 में कौन सा डिवाइस ट्रैकर है बेस्ट?
  3. मारूति सुजुकी जनवरी में पेश करेगी अपना पहला इलेक्ट्रिक व्हीकल eVitara
  4. Lava Blaze Duo 5G फोन Rs 2 हजार सस्ते में खरीदने का मौका, 64MP कैमरा, 8GB रैम जैसे हैं फीचर्स
  5. OnePlus Watch 3 के लॉन्च से पहले रेंडर्स लीक, डिजाइन, बैटरी समेत कई फीचर्स का खुलासा
  6. सिंगल चार्ज में 11 घंटे चलने वाला Xiaomi Burgundy Red Mini ब्लूटूथ स्पीकर लॉन्च, जानें कीमत
  7. देश की EV इंडस्ट्री 2030 तक बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये की होगीः गडकरी 
  8. Pushpa 2 Collection Day 16: अल्लू अर्जुन की Pushpa-2 भारत में Rs 1000 करोड़ के पार!
  9. मिस्र के प्राचीन मकबरे में मिलीं 'सोने की जीभ' के साथ 13 ममी!
  10. बार-बार भूलते हैं चीजें? JioTag Go ढूंढकर देगा, जानें कीमत, और कैसे करता है काम
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »