अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए एस्टरॉयड एक रहस्य के साथ-साथ चुनौती भी बने हुए हैं। सौरमंडल के निर्माण के समय यह शेष रह गए टुकड़े बताए जाते हैं, यानि कि ये ग्रहों के ही अवशेष हो सकते हैं, ऐसा कहा जाता है। इनकी संरचना को समझकर वैज्ञानिक पता लगा सकते हैं कि सौरमंडल के विभिन्न ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ होगा। पृथ्वी को इनसे खतरा भी हो सकता है। एस्टरॉयड्स की तुलना में किसी बड़े ग्रह का गुरुत्वाकर्षण ज्यादा होता है, इसलिए ये ग्रह की ओर खिंचे चले आते हैं। कल यानि 26 मई को 1 या 2 नहीं, बल्कि पूरे 5 एस्टरॉयड धरती के करीब से गुजरे हैं। इनमें से एक एस्टरॉयड 130 फीट से ज्यादा बड़ा था। आइए जानते हैं ये कौन से 5 चट्टानी टुकड़े थे, जो कल धरती के करीब से गुजरे हैं।
नासा
एस्टरॉयड को लगातार ट्रैक करती रहती है। इसके लिए इसकी
जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी में वैज्ञानिक लगातार अंतरिक्ष में विचरण कर रहे इन चट्टानी टुकड़ों पर नजर बनाकर रखते हैं। कल का दिन पृथ्वी के बेहद खतरों भरा था। धरती के पास से कल 5 एस्टरॉयड गुजरे हैं जो 100 फीट से 130 फीट साइज के भी थे। 2023 KF नाम का एस्टरॉयड कल धरती को लगभग छूकर गुजरा है। इसकी धरती से दूरी 42 लाख किलोमीटर के लगभग रह गई थी। यह 130 फीट का एस्टरॉयड था, जो अगर पृथ्वी से टकरा जाता तो न जाने कितना बड़ा नुकसान कर सकता था।
JPL ने एस्टरॉयड 2023 KX के लिए भी अलर्ट जारी किया। यह एस्टरॉयड कल धरती से सिर्फ 38 लाख किलोमीटर की दूरी से होकर गुजरा है। इसका साइज 95 फीट था जो कि किसी हवाई जहाज के जितना बड़ा था। इसके अलावा नासा ने कल एस्टरॉयड 2023 KB2 को भी ट्रैक किया। यह एस्टरॉयड भी किसी हवाई जहाज के जितना बड़ा बताया गया है। जब यह धरती के पास आया तो दोनों
खगोलीय पिंडों के बीच की न्यूनतम दूरी 28 लाख किलोमीटर के लगभग थी।
इतना ही नहीं, स्पेस एजेंसी के मुताबिक, एक बड़े मकान जितना बड़ा चौथा एस्टरॉयड भी कल पृथ्वी के पास से गुजरा है। इसका नाम 2023 KC3 बताया गया है। यह 58 फीट का चट्टानी टुकड़ा था, जो अगर धरती पर गिरता तो एक बड़े हिस्से पर विनाश ला सकता था। इसके अलावा धरती पर एक पांचवें एस्टरॉयड का संभावित हमला भी कल टला है। यह 2023 KZ नाम का एस्टरॉयड था। इसका साइज 39 फीट है। जब यह धरती के सबसे पास था तो दोनों के बीच की दूरी सिर्फ 21 लाख किलोमीटर ही थी। यह बहुत नजदीक से होकर गुजरा है। इन दिनों एस्टरॉयड लगातार धरती की तरफ घूमते हुए पहुंच रहे हैं। ऐसे में इनसे बड़े खतरे की संभावना बनी हुई है।