देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का जून तिमाही में कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफिट वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 17 प्रतिशत बढ़कर 11,074 करोड़ रुपये रहा। कंपनी के कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू में लगभग 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 59,381 करोड़ रुपये का है।
हालांकि,
कंपनी का रेवेन्यू तिमाही-दर-तिमाही आधार पर केवल 0.4 प्रतिशत बढ़ा है और पिछली तिमाही की तुलना में प्रॉफिट में लगभग तीन प्रतिशत की कमी हुई है। कंपनी की
ऑर्डर बुक लगभग 10.2 अरब डॉलर की है। TCS को ऑपरेटिंग मार्जिन के लिहाज से झटका लगा है। इसमें पिछली तिमाही की तुलना में 1.30 प्रतिशत की गिरावट हुई है। TCS के मैनेजिंग डायरेक्टर, K Krithivasan ने कहा, "नई टेक्नोलॉजीज के उभरने के साथ हमारी सर्विसेज की लंबी अवधि में डिमांड बरकरार रहने का हमें विश्वास है। हम इन नई टेक्नोलॉजीज में क्षमता मजबूत करने के लिए जल्द इनवेस्टमेंट कर रहे हैं।"
पिछली तिमाही में कंपनी के प्रॉफिट पर सैलरी में बढ़ोतरी और कुछ अन्य कॉस्ट बढ़ने का असर पड़ा है। TCS ने बहुत अच्छा प्रदर्शन करने वाले वर्कर्स को सैलरी में 12-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दी है। पिछले महीने TCS में जॉब के बदले रिश्वत लेने के स्कैम का पता चला था। टाटा संस और TCS के चेयरमैन N Chandrasekaran ने कहा था कि उन्हें कंपनी के छह वर्कर्स के स्टाफिंग फर्मों से कमीशन लेने का खुलासा होने पर धक्का लगा है। TCS की 28वीं एनुअल जनरल मीटिंग में चंद्रशेखरन ने शेयरहोल्डर्स को 1,000 से अधिक स्टाफिंग फर्मों के साथ कामकाज को लेकर कड़े उपाय करने का आश्वासन दिया, जिससे ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
उनका कहना था "टाटा ग्रुप की किसी कंपनी के लिए किसी वित्तीय प्रदर्शन से पहले प्रत्येक वर्कर का नैतिक आचरण और ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण है। जब भी कोई वर्कर नैतिक आचरण का उल्लंघन करता है तो हमें धक्का लगता है। हम इसे काफी गंभीरता से लेते हैं।" चंद्रशेखरन ने बताया कि इस मामले में दो व्हिसलब्लओर की शिकायतें मिली थी। कंपनी ने इसे लेकर छह वर्कर्स को बर्खास्त और छह स्टाफिंग फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया है। इसके अलावा तीन अन्य वर्कर्स के खिलाफ जांच की जा रही है। उन्होंने कहा था, "हम यह नहीं तय कर सकते कि इन वर्कर्स को क्या फायदे मिले थे लेकिन इन्होंने निश्चित तौर पर ऐसा व्यवहार किया है जिससे कुछ फर्मों को फायदा मिला था।"