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चीन की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को कमजोर करने के लिए अमेरिका का साथ देगा ताइवान

अमेरिकी सरकार की ओर से घोषित किए गए रूल्स में अमेरिकी इक्विपमेंट से किसी भी देश में बनने वाले विशेष चिप्स से चीन को अलग करना भी शामिल है

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चीन की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को कमजोर करने के लिए अमेरिका का साथ देगा ताइवान

चीन और ताइवान के बीच कई वर्षों से विवाद है

ख़ास बातें
  • ताइवान को सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का हब कहा जाता है
  • अमेरिका की ओर से ताइवान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन किया जाता है
  • ताइवान को अमेरिका से हथियारों की सप्लाई भी होती है
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अमेरिका के नए एक्सपोर्ट रूल्स से चीन की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर बड़ा असर पड़ सकता है। ताइवान की सेमीकंडक्टर कंपनियों ने भी इन रूल्स का पालन करने की सहमति दी है। अमेरिकी सरकार की ओर से घोषित किए गए इन रूल्स में अमेरिकी इक्विपमेंट से किसी भी देश में बनने वाले विशेष चिप्स से चीन को अलग करना भी शामिल है। 

इससे चीन को टेक्नोलॉजी और सैन्य जरूरतों को पूरा करने में मुश्किल हो सकती है। ताइवान को सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का हब कहा जाता है और वहां दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट चिपमेकर और आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी Apple की बड़ी सप्लायर ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) भी मौजूद है। अमेरिका की ओर से नए रूल्स की घोषणा के बाद ताइवान की इकोनॉमी मिनिस्ट्री कहा कि उनके देश की फर्में कानून का पालन करती हैं। मिनिस्ट्री का कहना था, "ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री ने कई वर्षों से ग्लोबल कस्टमर्स की जरूरतें पूरी की हैं और यह इंडस्ट्री कानून का पालन करने को बहुत महत्वपूर्ण मानती है। देश के कानूनों का पालन करने के साथ ही यह इंटरनेशनल कस्टमर्स के देशों में लागू रूल्स का भी पालन करेगी।" 

चीन और ताइवान के बीच कई वर्षों से विवाद है। चीन की कंपनियों की ताइवान से सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के टैलेंट और टेक्नोलॉजी को गलत तरीके से हासिल करने की कोशिशें से भी ताइवान नाराज है। चीन ने पिछले कुछ महीनों में ताइवान के निकट अपना सैन्य अभ्यास भी बढ़ाया है। चीन का लक्ष्य ताइवान को अपने कब्जे में करना है। अमेरिका की ओर से ताइवान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन किया जाता है। ताइवान को अमेरिका से हथियारों की सप्लाई भी होती है। हाल ही में अमेरिकी पार्लियामेंट की स्पीकर नैंसी पैलोसी ने चीन के विरोध के बावजूद ताइवान का दौरा भी किया था। 

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका में पारित किए गए चिप्स एंड साइंस एक्ट के तहत सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनियों को 52 अरब डॉलर की ग्रांट और इंसेंटिव दिए जाएंगे। इसके साथ ही अमेरिका में प्लांट्स लगाने पर 25 प्रतिशत का टैक्स क्रेडिट भी मिलेगा। इस एक्ट में अगले एक दशक में रिसर्च को मदद देने के लिए लगभग 200 अरब डॉलर का प्रावधान भी किया गया है। 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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आकाश आनंद Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख और भी... ...और भी

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