देश की दूसरी सबसे बड़ी IT सर्विसेज इंफोसिस में वर्कफोर्स के बड़े हिस्से की सैलरी में 10-13 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, जबकि टॉप परफॉर्मर्स को सैलरी में 20-25 प्रतिशत तक फायदा होगा। कंपनी ने बताया कि नौकरी छोड़ने की दर (एट्रीशन रेट) में कमी आनी शुरू हो गई है और इस वजह से वह वेज की कॉस्ट को घटाने की कोशिश करेगी।
कंपनी ने यूटिलाइजेशन लेवल बढ़ाने, लैटरल हायरिंग में कमी करने और ऑन-साइट स्टाफ की संख्या घटाने के जरिए वेज कॉस्ट पर नियंत्रण करने की योजना बनाई है।
इंफोसिस के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और ह्युमन रिसोर्सेज के ग्रुप हेड, Krish Shankar ने बताया कि अधिकतर स्टाफ की सैलरी में 10-13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि टॉप परफॉर्मर्स को 20-25 प्रतिशत का फायदा मिला है। सैलरी में बढ़ोतरी एंप्लॉयी के ग्रेड पर निर्भर करेगी क्योंकि अधिक सैलरी लेने वाले सीनियर मैनेजमेंट को जूनियर स्टाफ की तुलना में कम बढ़ोतरी मिलती है।
मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में इंफोसिस का एट्रीशन रेट 28.4 प्रतिशत का था, जो दूसरी तिमाही में घटकर 27.1 प्रतिशत हो गया। कंपनी ने स्टाफ को बरकरार रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। इनमें जल्द प्रमोशन करना और करियर में ग्रोथ के लिए अलग प्रोग्राम शुरू करना शामिल है। कंपनी ने पिछले फाइनेंशियल ईयर में लगभग 40,000 प्रमोशंस दी थी। यह संख्या इस वर्ष बढ़ सकती है। दूसरी तिमाही में कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफिट 11.1 प्रतिशत बढ़कर लगभग 6,021 करोड़ रुपये रहा। कंपनी के रेवेन्यू में लगभग 23.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 36,538 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
कंपनी के बोर्ड ने 1,850 रुपये प्रति शेयर के प्राइस पर 9,300 करोड़ रुपये से शेयर्स बायबैक के लिए स्वीकृति दी है। यह प्राइस कंपनी के मौजूदा शेयर प्राइस से अधिक है। इसके साथ ही बोर्ड ने शेयरहोल्डर्स को 16.50 रुपये प्रति शेयर का इंटरिम डिविडेंड देने की भी घोषणा की है। शेयर्स का बायबैक ओपन मार्केट के जरिए किया जाएगा। इंफोसिस ने पिछले वर्ष भी लगभग 9,200 करोड़ रुपये के शेयर्स
बायबैक किए थे। दूसरी तिमाही में कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन 1.5 प्रतिशत बढ़ा है। कंपनी का कहना है कि इकोनॉमिक स्थिति को लेकर आशंकाएं बरकरार हैं। हालांकि, इंफोसिस के लिए डिमांड अच्छी बनी हुई है। कंपनी ने मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में रेवेन्यू 15-16 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान दिया है।