ऑनलाइन क्रिमिनल्स पर शिकंजा कसने के लिए नया कानून ला सकती है सरकार

केंद्र सरकार लोगों को सशक्त बनाने के एक जरिए के तौर पर इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही सरकार इसे सुरक्षित और विश्वसनीय बनाना चाहती है

ऑनलाइन क्रिमिनल्स पर शिकंजा कसने के लिए नया कानून ला सकती है सरकार

डिजिटल टेक्नोलॉजी कानून लाने की तैयारी की जा रही है

ख़ास बातें
  • इंटरनेट को सरकार सुरक्षित और विश्वसनीय बनाना चाहती है
  • नए कानून में इंटरमीडियरीज के लिए सख्त प्रावधान हो सकते हैं
  • कुछ अन्य देशों में इस तरह के कानून मौजूद हैं
विज्ञापन
इंटरनेट पर अवैध, आपराधिक और बच्चों के उत्पीड़न से जुड़े मैटीरियल को रोकने के लिए केंद्र सरकार एक नए कानून पर कार्य कर रही है। डिजिटल इंडिया एक्ट के तहत इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) और अन्य इंटरमीडियरीज उनके प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक कंटेंट के लिए जवाबदेह होंगे। 

केंद्रीय मंत्री Rajeev Chandrashekhar ने एक कॉन्फ्रेंस को संबोधन में कहा कि मौजूदा इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस वजह से सरकार ने IT रूल्स बनाए थे और इंटरमीडियरीज को जिम्मेदार बनाने के लिए इन्हें पिछले वर्ष संशोधित किया गया था। इसके बाद डिजिटल टेक्नोलॉजी कानून लाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को सशक्त बनाने के एक जरिए के तौर पर इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही सरकार इसे सुरक्षित और विश्वसनीय बनाना चाहती है। इंटरमीडियरीज की यह जिम्मेदारी है कि वे सर्विस प्रोवाइडर्स होने के तौर पर गैर कानूनी और आपराधिक कंटेंट को हटाएं।  

Chandrashekhar ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्राइवेसी के लिए जोर देना आपराधिकता का कारण नहीं बन सकता। उनका कहना था, "अगर कोई व्यक्ति अज्ञात भी है तो भी इंटरमीडियरीज को ऐसे कंटेंट को शुरू करने वाले का खुलासा करना होगा। इंटरनेट को लोगों के सशक्तिकरण के जरिए के तौर पर देखा गया था लेकिन यह आपराधिकता और गैर कानूनी गतिविधियों का गढ़ बन गया है।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वाला मैटीरियल इंटरनेट के बाहर से आता है और इससे कानून के अलग प्रावधानों के तहत निपटने की जरूरत है। 

पिछले वर्ष के अंत में इंटरनेट सर्च इंजन गूगल को चलाने वाली Alphabet और कुछ अन्य कंपनियों पर 13 वर्ष से कम आयु के बच्चों की YouTube एक्टिविटी उनके अभिभावकों की सहमति के बिना ट्रैक करने के आरोप  में अमेरिका में एक मुकदमा दर्ज हुआ था। इन कंपनियों पर बच्चों की यूट्यूब एक्टिविटी ट्रैक कर उसका इस्तेमाल उन्हें विज्ञापन दिखाने के लिए करने का आरोप था। अमेरिकी कानून के तहत, फेडरल ट्रेड कमीशन और स्टेट अटॉर्नी जनरल के पास 13 वर्ष से कम आयु के बच्चों के बारे में व्यक्तिगत डेटा को ऑनलाइन एकत्र करने पर नियंत्रण का अधिकार है। इस मामले में आरोप लगाया गया था कि गूगल की ओर से किए गए डेटा कलेक्शन में कानून का उल्लंघन किया गया है। 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

आकाश आनंद

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News
 
 

विज्ञापन

Advertisement

#ताज़ा ख़बरें
  1. itel T11 Pro TWS Earbuds भारत में लॉन्च, कीमत 1300 से कम और बैटरी चलेगी 42 घंटे तक
  2. Kia की Sonet की बिक्री 4 वर्ष से कम में 4 लाख यूनिट्स से ज्यादा
  3. Samsung के Galaxy Unpacked इवेंट में फोल्डेबल स्मार्टफोन्स, Galaxy Ring हो सकते हैं लॉन्च
  4. Realme C65 5G हुआ 50MP कैमरा, 120Hz डिस्प्ले, 5000mAh बैटरी के साथ लॉन्च, जानें सबकुछ
  5. गजब! ये कंपनी दे रही Free में इलेक्ट्रिक गाड़ी चार्ज करने की सुविधा, जानें पूरा मामला
  6. Lava ने गोल्ड कलर में पेश किया O2, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  7. Nothing का सबब्रैंड CMF लॉन्‍च करेगा पहला स्‍मार्टफोन! BIS पर हुआ लिस्‍ट
  8. Ferrato Disruptor इलेक्‍ट्र‍िक बाइक की भारत में बुकिंग शुरू, सिर्फ Rs 500 देने होंगे, लॉन्चिंग 2 मई को
  9. OnePlus ने नए नॉर्डिक ब्लू कलर में पेश की Watch 2
  10. New OTT Release : लापता लेडीज.. क्रैक.. रणनीति… किस ओटीटी पर क्‍या नया? जानें
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »