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आग की घटनाओं के चलते इलेक्ट्रिक वाहनों में ब्लैक बॉक्स लगाए जाने की सिफारिश

CPOS एक इंडस्ट्री बॉडी है, जो EV चार्जिंग स्टेशन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है। इसका दावा है कि इसके पास 3,000 से अधिक ईवी चार्जिंग पॉइंट वाले 21 सदस्य हैं।

आग की घटनाओं के चलते इलेक्ट्रिक वाहनों में ब्लैक बॉक्स लगाए जाने की सिफारिश

CPOS ने स्वैपिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी सुरक्षा सिफारिशें की हैं

ख़ास बातें
  • EV चार्जिंग स्टेशन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है CPOS
  • CPOS ने स्वैपिंग व चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी सुरक्षा सिफारिश की
  • ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड होती है वाहनों की हर एक्टिविटी
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पिछले कुछ समय से भारत में  इलेक्ट्रिक गाड़ियों में आग लगने की घटना बढ़ गई है। Ola, Ather, PureEV समेत कई इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ब्रांड्स के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स के साथ-साथ हाल ही में Tata की Nexon EV कार में आग लगने की खबर ने सरकारी व गैर-सरकारी एजेंसियों को इस तरफ गंभीरता से विचार करने पर मजबूर कर दिया है। अब, लेटेस्ट मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के चार्ज प्वाइंट ऑपरेटर्स सोसाइटी (CPOS) ने इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) बैटरी में ब्लैक बॉक्स सिस्टम की सिफारिश की है, ताकि ईवी में आग लगने वाली किसी भी अप्रिय घटना पर नज़र रखी जा सके।

ET की रिपोर्ट के अनुसार, CPOS ने सिफारिश की है कि भारत में सभी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बैटरी पैक में ब्लैक बॉक्स स्थापित किया जाए। जिन्हें नहीं पता उन्हें बता दें कि ब्लैक बॉक्स डिवाइस वाहन से जुड़ी सभी जानकारियों को रिकॉर्ड करता है। इसका इस्तेमाल लगभग सभी एयरक्राफ्ट में किया जाता है। इसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर भी कहते हैं। दुर्घटना होने पर इस बॉक्स के जरिए दुर्घटना की वजह या वाहन में आई समस्याओं का पता लगाया जाता है।

रिपोर्ट कहती है कि CPOS ने स्वैपिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी सुरक्षा सिफारिशें की हैं। वे नीति आयोग द्वारा शुरू की गई बैटरी स्वैपिंग नीति के मसौदे का पालन करते हैं।

सीपीओएस ने कहा, "बैटरी मॉनिटरिंग सिस्टम में विफलता या आग के मूल कारण को पकड़ने के लिए ब्लैक बॉक्स फीचर भी होना चाहिए।" यह बैटरी विफलताओं, अस्थिर थर्मल व्यवहार और संबंधित जोखिमों की पहचान करने में सहायता करेगा।

इसके अलावा, CPOS ने ईवी बैटरी के दैनिक व्यवहार डेटा की निगरानी में मदद करने के लिए ई-सिम या डेटा कनेक्टिविटी को अनिवार्य बनाने का भी प्रस्ताव रखा है। सीपीओएस ने यह भी सिफारिश की है कि अनिवार्य बैटरी परफॉर्मेंस होनी चाहिए और समय पर रिकॉल किया जाना चाहिए। इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि यूजर्स को उन बैटरियों के स्टेटस के बारे में रियल टाइम अपडेट मिलनी चाहिए, जिन्हें स्वैप कर रहे हैं।

CPOS एक इंडस्ट्री बॉडी है, जो EV चार्जिंग स्टेशन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है। इसका दावा है कि इसके पास 3,000 से अधिक ईवी चार्जिंग पॉइंट वाले 21 सदस्य हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि सोमवार को सोसायटी के सदस्यों ने सेंट्रल दिल्ली में 2000 से अधिक स्थानों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 4000-5000 ईवी चार्जर स्थापित करने का वादा किया था।
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नितेश पपनोई Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech products like smartphones, headphones, and smartwatches. At Gadgets 360, he is covering all ...और भी

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