देश में डिजिटल रुपये की प्रति दिन ट्रांजैक्शंस हुई 10 लाख से ज्यादा

ई-रुपये का ट्रायल RBI ने शुरू किया था। हालांकि, इसके बाद पिछले वर्ष अक्टूबर तक लगभग 25,000 प्रति दिन तक ही पहुंची थी

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 4 जनवरी 2024 20:00 IST
ख़ास बातें
  • ई-रुपये का ट्रायल RBI ने शुरू किया था
  • पिछले वर्ष अक्टूबर तक इसकी ट्रांजैक्शंस 25,000 प्रति दिन तक पहुंची थी
  • CBDC एक ब्लॉकचेन पर बेस्ड पेमेंट सॉल्यूशन होता है

इसे कैश के डिजिटल विकल्प के तौर पर डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी के जरिए तैयार किया है

देश के बैंकों ने दिसंबर में कुछ एंप्लॉयी बेनेफिट डिजिटल रुपये के जरिए दिए हैं। इससे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को पिछले वर्ष के अंत तक इसकी प्रति दिन 10 लाख ट्रांजैक्शंस का टारगेट पूरा करने में आसानी हुई है। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या ई-रुपये को कैश के डिजिटल विकल्प के तौर पर डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी के जरिए तैयार किया है। 

ई-रुपये का ट्रायल RBI ने शुरू किया था। हालांकि, इसके बाद पिछले वर्ष अक्टूबर तक लगभग 25,000 प्रति दिन तक पहुंची थी। इसका यूज केस भी बढ़ाया गया था और इसे बड़ी संख्या में इस्तेमाल होने वाले यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) से जोड़ा गया था। UPI में मोबाइल ऐप्स के जरिए रकम भेजने की सुविधा मिलती है। एक सूत्र ने बताया कि पिछले महीने कुछ बड़े सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने एंप्लॉयी बेनेफिट स्कीम्स से जुड़ी रकम को एंप्लॉयीज के CBDC वॉलेट्स में ट्रांसफर किया था। इनमें HDFC Bank, Kotak Mahindra Bank, Axis Bank, Canara Bank और IDFC First Bank शामिल थे। इससे ट्रांजैक्शंस तेजी से बढ़ी हैं। 

RBI को उम्मीद है कि कुछ नॉन-फाइनेंशियल फर्में भी इस तरीके का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे ट्रांजैक्शंस को और बढ़ाने में आसानी होगी। इस बारे में जानकारी रखने वाले एक एग्जिक्यूटिव ने बताया कि इसके यूजर्स की संख्या दिसंबर में 30 लाख से बढ़कर 40 लाख हो गई है। डिजिटल रुपये से इंटरबैंक मार्केट अधिक एफिशिएंट बनने की संभावना है। RBI ने CBDC के फायदे और नुकसान पर विचार करने के बाद यह ट्रायल शुरू किया था। इससे पहले क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर RBI ने विरोध जताया था। देश में डीमॉनेटाइशन होने के बाद UPI पेमेंट्स में तेजी से ग्रोथ हुई है। इसका फायदा डिजिटल रुपये को भी मिल सकता है। 

CBDC एक ब्लॉकचेन पर बेस्ड पेमेंट सॉल्यूशन होता है, जिस पर सेंट्रल बैंक का कंट्रोल रहता है। यह क्रिप्टोकरेंसी की तरह कार्य करता है लेकिन क्रिप्टोकरेंसीज की तरह CBDC में वोलैटिलिटी और अन्य रिस्क नहीं होते। इस बारे में टिप्पणी के लिए ईमेल से भेजे गए निवेदन का RBI ने उत्तर नहीं दिया। चीन, घाना और फ्रांस जैसे देशों में CBDC प्रोजेक्ट्स का ट्रायल किया जा रहा है। इसके अलावा नाइजीरिया ने अपनी डिजिटल करेंसी शुरू की है। हालांकि, नाइजीरिया में इसका कम इस्तेमाल हो रहा है। 
 
 

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