डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल राज्यसभा में पास, उल्लंघन पर 250 करोड़ रुपये तक पेनल्टी

राज्यसभा में बिल पेश होने से पहले विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर में हिंसा के मुद्दे को लेकर सदन से वॉकआउट कर दिया था

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 9 अगस्त 2023 20:10 IST
ख़ास बातें
  • यह बिल सोमवार को लोकसभा में पारित हुआ था
  • विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर के मुद्दे को लेकर सदन से वॉकआउट कर दिया था
  • बहुत से देशों में ऐसे कानून मौजूद हैं

इस बिल में लोगों के डेटा का गलत इस्तेमाल करने पर रोक लगाने से जुड़े प्रावधान हैं

देश में पिछले कुछ वर्षों से डेटा के प्रोटेक्शन की जरूरत को लेकर कानून बनाने की मांग जल्द पूरी हो सकती है। राज्यसभा में बुधवार को डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल पारित हो गया है। हालांकि, इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर में हिंसा के मुद्दे को लेकर सदन से वॉकआउट कर दिया था। 

यह बिल सोमवार को लोकसभा में पारित हुआ था। राज्यसभा में इसे विचार और पारित करने के लिए पेश करते हुए केंद्रीय IT मिनिस्टर Ashwini Vaishnaw ने कहा, "अगर विपक्ष ने बिल पर चर्चा की होती तो अच्छा होता लेकिन कोई विपक्षी नेता या सदस्य नागरिकों के अधिकारों को लेकर चिंतित नहीं है।" उनका कहना था कि इस बिल की भाषा बहुत आसान है और इसे कोई सामान्य व्यक्ति भी समझ सकता है। इस बिल में देश के नागरिकों की प्राइवेसी की सुरक्षा पर जोर दिया गया है। इसमें लोगों के डिजिटल डेटा के गलत इस्तेमाल या उसकी सुरक्षा में नाकामी होने एंटिटीज पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। 

सुप्रीम कोर्ट ने छह वर्ष पहले 'प्राइवेसी के अधिकार' को एक मूलभूत अधिकार घोषित किया था। इस बिल में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लोगों के डेटा का गलत इस्तेमाल करने पर रोक लगाने से जुड़े प्रावधान हैं। लोकसभा में मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे के बीच इस बिल को पारित कराया गया था। 

Ashwini ने बताया कि यह बिल विस्तृत सार्वजनिक विचार विमर्श के बाद लाया गया है। उन्होंने उन सिद्धांतों की जानकारी दी जिन पर यह बिल आधारित है। Ashwini ने कहा कि वैधता के सिद्धांत के अनुसार, किसी व्यक्ति के डेटा को मौजूदा कानूनों के आधार पर लेना चाहिए। उनका कहना था कि सीमित उद्देश्य के सिद्धांत के अनुसार, डेटा का इस्तेमाल उसी उद्देश्य के लिए होना चाहिए जिसके लिए यह लिया गया है। न्यूनतम डेटा के सिद्धांत का जिक्र करते हुए Ashwini ने कहा कि जरूरत से अधिक डेटा नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने स्टोरेज की लिमिट के बारे में बताया कि डेटा को उतनी ही अवधि के लिए रखा जाना चाहिए जितनी जरूरत है। इस बिल में विवाद के निपटारे की प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई एंटिटी गल्ती करती है तो उसे डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के पास जाकर उस गल्ती को सुधारना और जुर्माने का भुगतान करना होगा। 
 

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