Cognizant में ProHance टूल की ट्रेनिंग के चलते कर्मचारियों की ट्रैकिंग को लेकर सवाल उठे। कंपनी ने सफाई दी कि यह इंडस्ट्री प्रैक्टिस है और सिर्फ चुनिंदा प्रोजेक्ट्स में कर्मचारियों की सहमति से होता है।
Cognizant ने दावा किया है कि ट्रैकिंग तभी होती है जब कर्मचारी खुद इसकी मंजूरी देते हैं
Cognizant में कुछ चुनिंदा एग्जीक्यूटिव्स को हाल के दिनों में ProHance नाम के एक वर्कफोर्स मैनेजमेंट टूल की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह वही टूल है जो लैपटॉप पर कर्मचारी कितना समय एक्टिव रहते हैं, कौन–सी ऐप्स या वेबसाइट्स इस्तेमाल करते हैं और कीबोर्ड-माउस एक्टिविटी के आधार पर एंगेजमेंट लेवल को ट्रैक कर सकता है। एक हफ्ते पहले सामने आई इस रिपोर्ट में बताया गया था कि यह टूल पांच मिनट तक कोई एक्टिविटी न होने पर कर्मचारी को ‘आइडल' और 15 मिनट लैपटॉप इनएक्टिव रहने पर ‘अवे फ्रॉम सिस्टम' मार्क कर देता है।
Mint की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि ट्रेनिंग कोर्स मटेरियल इस बात की सीधे तौर पर पुष्टि भी करता है। हालांकि, अब, Cognizant की ओर से स्टेटमेंट दिया गया है, जिसमें उन्होंने साफ कहा है कि कंपनी कर्मचारियों की मॉनिटरिंग नहीं कर रही और इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
TOI को दिए बयान में कॉग्निजेंट ने बताया कि कंपनी कभी-कभी ऐसे प्रोडक्टिविटी टूल्स का इस्तेमाल करती है, जो इंडस्ट्री में आम प्रैक्टिस मानी जाती है। कंपनी के स्पोक्सपर्सन के अनुसार, ये टूल्स सिर्फ चुनिंदा बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट या इंट्यूटिव ऑपरेशंस एंड ऑटोमेशन प्रोजेक्ट्स में, यूज किए जाते हैं, वो भी क्लाइंट की रिक्वेस्ट पर। कंपनी का कहना है कि इन टूल्स का मकसद कर्मचारियों की व्यक्तिगत परफॉर्मेंस जांचना नहीं, बल्कि क्लाइंट के प्रोसेस की स्टेप्स और टाइम मैट्रिक्स को समझकर प्रोसेस डिजाइन की खामियां पहचानना है।
साथ ही, कंपनी ने यह भी दावा किया है कि ट्रैकिंग तभी होती है जब कर्मचारी खुद इसकी मंजूरी देते हैं और उन्हें यह भी बताया जाता है कि इसका परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन से कोई लेना-देना नहीं है।
ProHance के डैशबोर्ड कथित तौर पर मिनट-दर-मिनट वर्किंग विजिबिलिटी देते हैं, जैसे लॉगइन टाइम, कौन-सी ऐप्स एक्टिव रहीं, कितना समय किस टास्क में गया और ब्रेक पैटर्न कैसे रहे। इससे मैनेजमेंट को पता लगता है कि वर्कफ्लो में कहां बॉटलनेक्स हैं और किन जगहों पर ऑप्टिमाइजेशन की जरूरत है।
Cognizant का कहना है कि ऐसा ट्रैकिंग सेटअप कई कंपनियों में होता है और यह कोई नया या असामान्य कदम नहीं है। कंपनी के अनुसार, जिन प्रोजेक्ट्स में इसका इस्तेमाल होता है, उन्हें पहले ही बताया जाता है कि उनका डेटा प्रोसेस मैपिंग के लिए देखा जाएगा, न कि उनकी जॉब सिक्योरिटी या टीम कम्पोजिशन को प्रभावित करने के लिए। कंपनी का दावा है कि इस पूरे मामले को गलत तरीके से इंटरप्रेट किया जा रहा है।
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