VoxelGrids की यह MRI मशीन फिलहाल Chandrapur Cancer Care Foundation में तैनात की गई है। चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
Photo Credit: VoxelGrids
भारत के मेडटेक सेक्टर में पिछले कुछ दिनों पहले सामने आई यह खबर इसलिए खास मानी जा रही है, क्योंकि यह उस टेक्नोलॉजी से जुड़ी है जिस पर भारत अब तक लगभग पूरी तरह विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहा है। MRI जैसे हाई-एंड मेडिकल इक्विपमेंट न सिर्फ महंगे होते हैं, बल्कि इनके मेंटेनेंस और ऑपरेशन कॉस्ट भी छोटे अस्पतालों के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है। ऐसे माहौल में एक भारतीय स्टार्टअप का स्वदेशी MRI स्कैनर डेवलप करना, वह भी कम लागत और नए बिजनेस मॉडल के साथ, हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए एक अहम बदलाव का संकेत देता है। Zoho-बैक्ड स्टार्टअप VoxelGrids ने देश का पहला पूरी तरह स्वदेशी MRI (Magnetic Resonance Imaging) स्कैनर तैयार किया है। यह मशीन फिलहाल Chandrapur Cancer Care Foundation में तैनात की गई है। चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
जैसे कि हमने बताया देश की पहली पूरी तरह से स्वदेशी MRI मशीन फिलहाल चंद्रापुर कैंसर केयर फाउंडेशन में डिप्लॉय की गई है। VoxelGrids के फाउंडर अरुण अरुणाचलम और उनकी टीम करीब 12 साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी, जिसका मकसद भारत में MRI टेक्नोलॉजी को लोकली डिजाइन और मैन्युफैक्चर करना था।
VoxelGrids का यह MRI स्कैनर 1.5 टेस्ला मैग्नेटिक फील्ड स्ट्रेंथ के साथ आता है, लेकिन कंपनी का कहना है कि यह सिर्फ Siemens या GE जैसे ग्लोबल ब्रांड्स की कॉपी नहीं है। इसमें लिक्विड हीलियम का इस्तेमाल नहीं किया गया, जिससे इसकी मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट करीब 40 फीसदी तक कम हो जाती है। इसके साथ ही मैग्नेट के आसपास की इलेक्ट्रॉनिक्स को ज्यादा कॉम्पैक्ट तरीके से डिजाइन किया गया है, जिससे मशीन ज्यादा पावर एफिशिएंट बनती है और लंबे समय में ऑपरेटिंग खर्च भी कम होता है।
VoxelGrids ने सिर्फ मशीन बनाने तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि इसके साथ pay-per-use मॉडल भी पेश किया है। इस मॉडल में अस्पतालों को MRI मशीन खरीदने के लिए भारी रकम एक साथ खर्च नहीं करनी पड़ती। वे इस्तेमाल के हिसाब से भुगतान कर सकते हैं, जिससे छोटे और मिड-साइज अस्पतालों के लिए MRI सुविधा उपलब्ध कराना आसान हो सकता है।
इंडस्ट्री आंकड़ों (via बिजनेसलाइन) के मुताबिक, भारत में इस समय करीब 5,000 MRI मशीनें ही मौजूद हैं, यानी लगभग प्रति 10 लाख आबादी पर 3.5 मशीनें। वहीं Competition Commission of India की एक स्टडी बताती है कि Siemens, GE, Philips, United Imaging और Hitachi जैसी टॉप 5 कंपनियों का MRI मार्केट में 90 फीसदी से ज्यादा रेवेन्यू शेयर है। ऐसे में स्वदेशी ऑप्शन विदेशी निर्भरता को कम करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
कंपनी ने अभी फुल कमर्शियल लॉन्च नहीं किया है, लेकिन बेंगलुरु स्थित मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी में हर साल 20 से 25 MRI स्कैनर बनाने की क्षमता मौजूद है। VoxelGrids को कई अस्पतालों से दिलचस्पी भी मिल चुकी है और उम्मीद जताई जा रही है कि इस फाइनेंशियल ईयर के अंत तक इसका कमर्शियल लॉन्च किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक कंपनी को Zoho से 5 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिल चुकी है और आगे बड़े फंडिंग राउंड की तैयारी भी चल रही है।
आगे चलकर VoxelGrids की टीम कथित तौर पर MRI मशीन को और बेहतर बनाने पर काम कर रही है, जिसमें मोबाइल और कंटेनर-बेस्ड MRI यूनिट भी शामिल है। फिलहाल फोकस घरेलू मांग पर है, लेकिन लंबे समय में एक्सपोर्ट मार्केट की संभावनाओं को भी नकारा नहीं गया है।
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