राइड बुकिंग ऐप, प्लेटफॉर्म्स पर डार्क पैटर्न का इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है।
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Ola, Uber, Rapido जैसी तमाम राइड बुकिंग कंपनियां 'डार्क पैटर्न' तकनीक का इस्तेमाल करती हैं- सर्वे
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आपने कहीं से ऑनलाइन टैक्सी राइड बुक की। जब राइड खत्म हुई तो ऐप में ज्यादा पैसे देने को कहा गया? क्या आपको कभी व्हीकल राइडर के मना करने के कारण राइड कैंसिल करनी पड़ी और अगली राइड में कैंसिलेशन चार्ज लगा दिया गया? अगर हां, तो आप भी राइड बुकिंग ऐप्स के डार्क पैटर्न का शिकार हुए हैं। क्या है ये बला, हम आपको बताते हैं।
आजकल भारत जैसे मार्केट्स में राइड बुकिंग ऐप या प्लेटफॉर्म्स पर डार्क पैटर्न तेजी से फैलता जा रहा है। सरकार की ओर से रोकथाम के लिए निर्देश जारी करने के बाद भी यह समस्या यूजर्स को लगातार सामने आ रही है। दरअसल, Ola, Uber, Rapido जैसी तमाम राइड बुकिंग कंपनियां 'डार्क पैटर्न' नाम की एक भ्रामक तकनीक का इस्तेमाल करती हैं। यह ऐसी तकनीक होती है जिससे ग्राहकों को भ्रम में डाला जाता है और कस्टमर को न चाहते हुए भी फैसला लेना पड़ता है जिसमें कस्टमर खुद को ठगा महसूस करता है।
Local Circles की ओर से एक ताजा सर्वे किया गया है जिसमें हजारों टैक्सी ऐप यूजर्स ने अपना फीडबैक दिया है। सर्वे के मुताबिक, 10 में से 8 यूजर्स ने माना है कि उनके साथ डार्क पैटर्न का इस्तेमाल किया गया है। कंपनियों ने भ्रामक तरीके से उनसे पैसे निकलवाए। देशभर में किया गया यह सर्वे चौंकाने वाले नतीजे बताता है। सर्वे में 94 हजार लोगों की प्रतिक्रियाएं मिलीं जो 282 जिलों से थे। आंकड़े बताते हैं सरकार द्वारा कंपनियों को रेगुलेटरी चेतावनियां देने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है।
कितने तरह के होते हैं डार्क पैटर्न
डार्क पैटर्न कई तरह से इस्तेमाल किए जाते हैं। मुख्य रूप से ये तरह के होते हैं-
ड्रिप प्राइसिंग, या हिडन चार्ज (Drip Pricing, Hidden Charge), छुपे हुए चार्ज रखना और बाद में वसूलना
एक्शन लेने के लिए मजबूर करना (Forced Action), जैसे राइड कैंसिल करने के लिए मजबूर करना आदि
बेट एंड स्विच (Bait and Switch), डेस्टिनेशन के लिए टाइम कम दिखाया लेकिन बाद में टाइम बढ़ा दिया
ड्रिप प्राइसिंग के सबसे ज्यादा शिकार
सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा डार्क पैटर्न जो इस्तेमाल होता है वह है- ड्रिप प्राइसिंग। यानी कस्टमर्स से छुपा हुआ चार्ज लिया जाता है। यह ऐसा चार्ज होता है जिसे कंपनियां शुरुआत में नहीं बताती हैं लेकिन जब राइड क्लोज करनी होती है तो यह पैसा वसूला जाता है।
गाइडलाइन्स पर नहीं हो रहा अमल
इससे पहले कई बार इस तरह के प्रयासों के लिए सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गई हैं। नवंबर 2023 में 'डार्क पैटर्न' को रोकने के लिए एक गाइडलाइन जारी की गई थी जिसमें कहा गया था कि ऐसे किसी भी डिजाइन या इंटरफेस को गलत माना जाएगा जो यूजर को भ्रम में डालकर जबरन उसे कोई फैसला लेने पर मजबूर करे। जैसे- बिना मर्जी के कुछ खरीद लेना या सब्सक्रिप्शन चालू हो जाना। उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा अब तक 13 प्रकार के 'डार्क पैटर्न' की पहचान की जा चुकी है जिनमें झूठी जल्दीबाजी दिखाना, बिना बताए कार्ट में प्रोडक्ट जोड़ना, यूजर को शर्मिंदा करना, छिपे हुए चार्जेज आदि। सरकार ने कंपनियों से इन सभी तकनीकों को तुरंत प्रभाव से रोकने के लिए निर्देश जारी किए थे। लेकिन अभी भी इस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल कंपनियां करती आ रही हैं।
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