बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनियों में शामिल Tesla को भारत में अपने कंपोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग की संभावना दिख रही है। कंपनी के कुछ सीनियर एग्जिक्यूटिव्स इसे लेकर इस सप्ताह केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ मीटिंग कर सकते हैं। इनमें प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
Bloomberg ने इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से दी गई एक रिपोर्ट में बताया है कि
टेस्ला के एग्जिक्यूटिव्स इलेक्ट्रिक कारों के लिए कंपोनेंट्स की देश से सोर्सिंग के बारे में सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे। कंपनी के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, Elon Musk इससे पहले अधिक इम्पोर्ट टैक्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़ी पॉलिसी को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं। सरकार ने टेस्ला से चीन में बनी इलेक्ट्रिक कारों को भारत में नहीं बेचने को कहा था। सूत्रों का कहना है कि टेस्ला के एग्जिक्यूटिव्स सरकार से दोबारा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर इम्पोर्ट टैक्स घटाने का निवेदन भी कर सकते हैं।
टेस्ला ने इस बारे में जानकारी के लिए भेजी गई ईमेल का उत्तर नहीं दिया है। रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज मिनिस्ट्री के एक प्रतिनिधि ने भी टिप्पणी के निवेदन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। भारत से कंपोनेंट्स की सोर्सिंग करने पर टेस्ला को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन हासिल करने में आसानी हो सकती है। मोदी का लक्ष्य देश को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की है। हालांकि, टेस्ला के देश में अपनी इलेक्ट्रिक कारों की असेंबलिंग करने की संभावना कम है। मस्क ने कहा था कि उनकी कंपनी किसी भी ऐसी लोकेशन पर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं लगाएगी जहां उसे अपने व्हीकल्स बेचने और उनकी सर्विसिंग की अनुमति नहीं है।
हाल ही में मस्क ने कहा था कि इस वर्ष कंपनी फुल सेल्फ-ड्राइव टेक्नोलॉजी लॉन्च कर सकती है। इससे टेस्ला का प्रॉफिट बढ़ने की संभावना है। कंपनी फुल सेल्फ-ड्राइविंग (FSD) सॉफ्टवेयर को एक विकल्प के तौर पर लगभग 15,000 डॉलर में बेचती है।
मस्क ने बताया था, "मुझे लगता है कि हम इस वर्ष इसे पेश करेंगे।" इससे पहले मस्क कई बार टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों की सेल्फ-ड्राइविंग क्षमता को लेकर तय किए गए लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सके हैं। टेस्ला की कारों से जुड़ी दुर्घटनाओं की वजह से इस टेक्नोलॉजी को लेकर कंपनी को कानूनी और रेगुलेटरी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा है।