पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टो सेगमेंट तेजी से बढ़ा है। इस वर्ष की पहली छमाही में इंटरनेशनल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट का कैपिटलाइजेशन लगभग 44 प्रतिशत बढ़कर 720 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस वर्ष की शुरुआत में बिटकॉइन ETFs के लॉन्च से इस सेगमेंट की ग्रोथ तेजी से बढ़ी है।
क्रिप्टो एक्सचेंज Binance की एक
रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष जनवरी से जून के बीच बिटकॉइन ने ग्रोथ दर्ज की है। इसके पीछे बिटकॉइन ETF की शुरुआत होना और इसके नेटवर्क की चौथी हाविंग प्रमुख कारण हैं। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether की वैल्यू भी तेजी से बढ़ी है। अमेरिका में बिटकॉइन ETFs में लगभग 17 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट किया गया है। इन ETFs में प्रति दिन की औसत ट्रेडिंग लगभग 2.3 अरब डॉलर की है।
इस वर्ष बिटकॉइन ने लगभग तीन वर्षों के बाद अपना नया हाई लेवल बनाया था। इसका प्राइस मार्च में 73,737 डॉलर से अधिक पर पहुंचा था। हालांकि, पिछले कुछ महीनों से इसमें गिरावट है।
बिटकॉइन का मंगलवार को प्राइस लगभग 59,446 डॉलर का था। इसमें गिरावट के पीछे कुछ देशों के बीच तनाव और रेगुलेटरी चुनौतियां बड़े कारण हैं। हालांकि, केंद्र सरकार की इस सेगमेंट को रेगुलेट करने की कोई योजना नहीं है। यूरोपियन यूनियन ( EU) और UAE ने क्रिप्टो सेगमेंट के लिए रूल्स बनाए हैं।
हाल ही में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्यमंत्री Pankaj Chaudhary ने बताया था कि निकट भविष्य में वर्चुअल एसेट्स की खरीद और बिक्री को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने का प्रपोजल नहीं है। सांसद G M Harish Balayogi ने इस सेगमेंट को लेकर सरकार के रुख पर प्रशन किए थे। उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार के पास क्रिप्टो सेगमेंट को रेगुलेट करने के लिए रूल्स लाने का कोई प्रपोजल है। इसके उत्तर में चौधरी ने कहा था, "वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की खरीद और बिक्री को रेगुलेट करने के लिए कानून लाने का कोई प्रपोजल नहीं है। हालांकि, एंटी मनी लॉन्ड्रिंग जैसे निगरानी के विशेष उद्देश्यों के लिए फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) को अधिकृत किया गया है।" पिछले वर्ष G20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने G20 ग्रुप के सदस्यों के लिए क्रिप्टो से जुड़े कानून का ड्राफ्ट तैयार करने के उद्देश्य से इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड (FSB) के साथ सहयोग किया था।