डिजिटल एसेट्स पर एक प्रतिशत के TDS का विरोध शुरू हो गया है। क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लगों ने केंद्र सरकार से बजट में क्रिप्टोकरेंसीज पर टैक्स लगाने के फैसले पर दोबारा विचार करने का निवेदन किया था। क्रिप्टोकरेंसीज पर टैक्स 1 अप्रैल से लागू होगा। यह मुद्दा संसद में भी उठा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद रितेश पांडे ने कहा कि इससे 'लाल फीताशाही' को बढ़ावा मिलेगा और डिजिटल एसेट्स में हो रही बढ़ोतरी रुक जाएगी।
'लाल फीताशाही' से मतलब ऐसे नियमों से होता है जो बहुत कड़े होते हैं और जिनसे लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पांडे ने कहा, "जब आप तीन चरणों में एक प्रतिशत का TDS लगाते हैं तो इससे लाल फीताशाही को बढ़ावा मिलेगा। ऐसा करने से डिजिटल एसेट्स को भी नुकसान होगा।" उन्होंने कहा कि
क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस पर एक प्रतिशत के TDS से तीन चरणों में इसका भुगतान करना होगा, क्रिप्टोकरेंसी खरीदने पर, इसे एक क्रिप्टो वॉलेट में ट्रांसफर करने पर और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) जैसे किसी अन्य डिजिटल एसेट को खरीदने पर। हाल के महीनों में कुछ सेलेब्रिटीज और मूवीज के भी
NFT लॉन्च हुए हैं।
उनका कहना था कि लोकप्रिय NFT सीरीज से डिजिटल एसेट्स खरीदने वाले कलेक्टर्स को टैक्स के कारण अधिक भुगतान करना होगा। हालांकि, फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण का कहना है कि TDS ट्रांजैक्शन को ट्रैक करने के उद्देश्य से लगाया गया है। उन्होंने कहा था, "यह एक अतिरिक्त टैक्स नहीं है और न ही नया टैक्स है। इससे ट्रैक करने में मदद मिलेगी।"
बजट में क्रिप्टोकरेंसीज के लिए एक वर्ष में 10,000 रुपये से अधिक की पेमेंट्स पर 1 प्रतिशत TDS और ऐसे गिफ्ट को प्राप्त करने वाले पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया गया था। TDS के लिए लिमिट विशेष कैटेगरी में आने वाले लोगों के लिए एक वर्ष में 50,000 रुपये की होगी। इनमें व्यक्ति/हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) शामिल हैं जिन्हें अपने एकाउंट्स का ऑडिट इनकम टैक्स एक्ट के तहत कराना होगा। ऐसे एसेट्स में ट्रांजैक्शंस से मिलने वाली आमदनी को कैलकुलेट करने पर किसी खर्च या भत्ते के डिडक्शन की अनुमति नहीं होगी। यह भी स्पष्ट किया गया है कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर से होने वाले लॉस को किसी अन्य आमदनी के बदले सेट ऑफ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।