यूरोप के शासकों ने अफ्रीकी देशों से जिन कलाकृतियों को चुराया था उन्हें वापस हासिल करने के लिए एक नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। Looty कहे जा रहे इस प्रोजेक्ट के जरिए नाइजीरिया के एक व्यक्ति ने चोरी हुई कलाकृतियों की 3-D इमेजेज बनाने और उन्हें NFT के तौर पर बेचने की योजना बनाई है। इससे मिलने वाली रकम से अफ्रीका के युवा आर्टिस्ट्स की मदद की जाएगी।
पिछले कुछ वर्षों में ऐसी वस्तुओं को उनके मूल स्थान पर लौटाने की मांग तेज हुई है, जिन्हें औपनिवेशिक काल के दौरान चुराया गया था। पश्चिमी देशों से ऐसी कुछ वस्तुओं को नाइजीरिया और बेनिन सहित कुछ देशों में वापस भेजा भी गया है। Looty को शुरू करने वाले Chidi Nwaubani ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में डिजिटल टेक्नोलॉजीज के इस्तेमाल से ऐसी कलाकृतियों पर मालिकाना हक या नियंत्रण लेने की कोशिश होगी जो अफ्रीका से चुराई गई थी। Nwaubani ने Reuters को दिए एक
इंटरव्यू में कहा, "ऐसी स्थिति के बारे में सोचिए जिसमें इन कलाकृतियों को कभी लूटा नहीं गया था। हम केवल ऐसी स्थिति के बारे में दोबारा सोचने और उन कलाकृतियों को डिजिटल प्रकार से लाने की कोशिश कर रहे हैं।"
इस प्रोजेक्ट की टीम का एक सदस्य उस म्यूजियम में जाएगा जहां चोरी की गई कलाकृति को रखा गया है। वह सदस्य 3-D इमेज बनाने वाली टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कलाकृति को स्कैन करेगा। इसके बाद उस इमेज का NFT बनाकर ऑनलाइन बेचा जाएगा। इससे मिलने वाली रकम का 20 प्रतिशत अफ्रीका के युवा आर्टिस्ट्स को ग्रांट देने पर खर्च होगा।
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से
NFT में यूनीक आइटम्स के टोकन्स को ऑथेंटिकेट किया जाता है जो दोबारा प्रोड्यूस किए जा सकने वाले डिजिटल एसेट्स से जुड़े होते हैं। इनमें आर्ट, म्यूजिक, इन-गेम आइटम्स और वीडियो शामिल हो सकते हैं। इनकी ऑनलाइन ट्रेडिंग की जा सकती है लेकिन इन्हें डुप्लिकेट नहीं किया जा सकता। हाल के महीनों में NFT की लोकप्रियता बढ़ी है। स्पोर्ट्स क्लब, ऑटोमोबाइल कंपनियां और पॉप स्टार्स भी इस कारोबार में उतर रहे हैं। NFT का कारोबार बढ़ने के साथ ही इनसे जुड़े स्कैम के मामलों में भी तेजी आई है। ऐसे कुछ मामलों में NFT खरीदने वालों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
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