पिछले कुछ सप्ताह में क्रिप्टो मार्केट में बड़ी गिरावट के बाद क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर रेगुलेटर्स की ओर से आशंकाएं बढ़ गई हैं। इसी कड़ी में यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) ने भी क्रिप्टो मार्केट को लेकर चेतावनी दी है। ECB का कहना है कि अगर यह सेगमेंट पिछले दो वर्षों में अपनी तेज ग्रोथ को बरकरार रखता है और फाइनेंस सेक्टर से जुड़ी फर्मों की इसमें हिस्सेदारी अधिक होती है तो यह वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा होगा।
क्रिप्टोकरेंसीज में रिस्क लेने की क्षमता रखने वाले इनवेस्टर्स की दिलचस्पी अधिक होती है। कोरोना महामारी के दौरान इस मार्केट का साइज तेजी से बढ़ा था। इसमें इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स ने काफी फंड लगाया था क्योंकि उनका मानना था कि बिटकॉइन इन्फ्लेशन के खिलाफ हेज का काम कर सकता है और इससे अधिक रिटर्न मिलने की संभावना होती है। इंटरेस्ट रेट्स कम होने के कारण इन इनवेस्टर्स ने क्रिप्टो मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ाई थी। पिछले वर्ष नवंबर में क्रिप्टो मार्केट ने लगभग तीन लाख करोड़ डॉलर का हाई लेवल बनाया था। हालांकि, इसके बाद से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन का प्राइस घटकर आधे से कम हो गया है। इससे कुल क्रिप्टो मार्केट भी गिरकर लगभग 1.2 लाख करोड़ डॉलर की रह गई है।
ECB ने अपने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिव्यू में कहा कि इस मार्केट में बैंकों और अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के बड़े स्तर पर शामिल होने से कैपिटल को रिस्क हो सकता है और यह इनवेस्टर्स के भरोसे, लेडिंग और फाइनेंशियल मार्केट्स के लिए नेगेटिव होगा। ECB ने बताया कि क्रिप्टो एक्सचेंज अधिक उधार के साथ ट्रेडिंग की सुविधा देते हैं। इस वजह से इनवेस्टर्स फंड उधार लेकर क्रिप्टोकरेंसीज में अधिक खरीदारी करते हैं। यह वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा रिस्क है। एक अनुमान के अनुसार, यूरोप में प्रत्येक 10 परिवारों में से एक के पास बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी है। ECB का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसीज से रिटेल इनवेस्टर्स को दूर रहना चाहिए।
इसके साथ ही ECB ने यूरोपियन यूनियन की अथॉरिटीज से क्रिप्टो एसेट्स पर नए रूल्स को जल्द स्वीकृति देने का निवेदन किया है। इन रूल्स को लेकर यूरोपियन यूनियन में सहमति नहीं है। इस वजह से इन्हें जल्द स्वीकृति मिलना मुश्किल है। इससे पहले भी कुछ देशों में रेगुलेटर्स ने
क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर चिंता जताई थी। भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगाने की मांग की थी। हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि वह इस सेगमेंट पर पूरी तरह रोक नहीं लगाएगी।
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