एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने केरल में क्रिप्टो से जुड़ी एक स्कीम के जरिए धोखाधड़ी का मामला पकड़ा है। इसमें केरल के एक कारोबारी को गिरफ्तार किया गया है, जिस पर 900 से अधिक लोगों के साथ 1,200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। ED का कहना है कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा और वह पूछताछ में सही उत्तर देने से बच रहा है।
ED ने बताया कि 'Morris Coin cryptocurrency' के मुख्य स्टॉकिस्ट अब्दुल गफ्फूर को 24 मार्च को हिरासत में लिया गया था। उसे अदालत में पेश किया गया था और 31 मार्च तक ED की हिरासत में भेजा गया है। ED ने कहा, "Stoxglobal Brokers के डायरेक्टर्स में शामिल गफ्फूर की अपराध की रकम को खपाने में सक्रिय भूमिका थी।" ED की ओर से दायर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला केरल पुलिस की मामले के मुख्य आरोपी निषाद के के खिलाफ एफआईआर से जुड़ा है। ED का आरोप है कि निषाद ने एक पॉन्जी स्कीम के जरिए कई लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। यह स्कीम उसकी बेंगलुरु की तीन फर्मों के जरिए चलाई गई थी। इसमें लोगों को प्रति दिन 3-5 प्रतिशत के रिटर्न का लालच दिया गया था। पुलिस की शिकायत में कहा गया है कि इसमें 900 से अधिक लोगों के साथ 1,200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है।
जांच में पता चला है कि निषाद ने उन लोगों को पिन स्टॉकिस्ट बनाया था जिन्होंने इस स्कीम में कम से कम 10 लाख रुपये लगाए थे। निषाद ने स्टॉकिस्ट्स से इनवेस्टमेंट पर 5 प्रतिशत का कमीशन देने का वादा किया था। स्टॉकिस्ट्स ने एक अवैध स्कीम में बड़ी संख्या में नए मेंबर्स को शामिल किया था। यह स्कीम मल्टीलेवल मार्केटिंग की आड़ में चलाई जा रही थी।
इससे पहले ED ने बताया था कि लोगों से लिए गए डिपॉजिट अवैध थे और इसके लिए रेगुलेटरी एजेंसियों से अनुमति नहीं थी। ED ने निषाद और उसके सहयोगियों के 36.72 करोड़ रुपये के एसेट्स जब्त किए थे। हाल के महीनों में
क्रिप्टोकरेंसी के जरिए धोखाधड़ी के
मामले बढ़े हैं। इन मामलों में लोगों को गलत जानकारी देकर उनकी रकम किसी स्कीम में लगवाई जाती है। ऐसे मामलों में अपराध की रकम का पता लगाना भी मुश्किल होता है क्योंकि उसे अक्सर विदेश में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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