चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन शुक्रवार को लॉन्च हो गया। दोपहर 2.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से मिशन ने उड़ान भरी। एलवीएम3-एम4 रॉकेट ने लॉन्च के 16 मिनट बाद चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया। चंद्रयान अब चांद की ओर बढ़ रहा है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन सही तरीके से आगे बढ़ रहा है। यह चंद्रमा पर कब उतर सकता है, इसकी तारीख और समय की जानकारी भी इसरो ने दी है।
पीटीआई के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि ‘चंद्रयान-3' तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश 23 अगस्त को करेगा। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है। उससे पहले एक अगस्त को चंद्रयान को चांद की कक्षा में स्थापित किया जा सकता है।
गौरतलब है कि साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया था। उसके फौरन बाद भारत ने तीसरे मून मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी। इसरो के वैज्ञानिक बीते कई महीनों से दिन-रात मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए थे। चंद्रयान-3 की लैंडिंग में कोई परेशानी ना आए, इस बात का विशेष ध्यान इस बार रखा गया है। चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम भी विक्रम रखा गया है।
मिशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे हर हाल में चांद पर लैंड कराया जा सके। 23 अगस्त को जब लैंडर ‘विक्रम' चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और कोई परेशानी आई, तो उसे दूसरी जगह भी लैंड कराया जा सकता है। इस मिशन का मसकद सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड कराना और वहां चहलकदमी की क्षमताओं को साबित करना है। अभी तक तीन देश- अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन चंद्रमा पर अपने मिशन लैंड करा पाए हैं।