हाल के दिनों में जिन दो मिशनों ने चांद पर उतरने के लिए उड़ान भरी, उनमें पहला था भारत का
चंद्रयान-3 (Chandrayaan3) मिशन और दूसरा था रूस का लूना-25 (Luna 25)। रूसी मिशन चांद पर लैंड करने से पहले फेल हो गया और उसकी सतह से टकराकर बर्बाद हो गया। भारतीय मिशन कामयाब रहा और मिशन पूरा हुआ। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) ने स्पॉट किया है। उसने चांद की एक एरियल तस्वीर ली है।
रिपोर्ट के अनुसार, LRO ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की तस्वीर 27 अगस्त को ली थी। इसकी डिटेल बताते हुए नासा ने उस एरिया को सफेद आयताकार बॉक्स से हाइलाइट किया है, जहां विक्रम लैंडर खड़ा है। 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चांद पर सफल लैंडिंग की थी। विक्रम के साथ ही प्रज्ञान रोवर भी चांद की सतह पर पहुंचा था। दोनों ने करीब 2 हफ्तों तक चांद पर कई प्रयोग किए।
विक्रम और प्रज्ञान अब स्लीप मोड में चले गए हैं। इस महीने के आखिरी सप्ताह में जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दोबारा सूर्य की रोशनी पड़ेगी, तब विक्रम और प्रज्ञान के एक्टिव होने की उम्मीद इसरो ने लगाई है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) को लगता है कि विक्रम और प्रज्ञान चांद पर दोबारा सूरज उगने के बाद अपना काम कर सकते हैं। हालांकि यह सिर्फ 14 दिनों का मिशन था, जो पूरा कर लिया गया है। अब जो भी अतिरिक्त हासिल होगा, वह इसरो के लिए नई उपलब्धि होगी।
वैज्ञानिकों को लगता है कि चंद्रमा के ध्रुवीय इलाकों में बर्फ के बड़े भंडार हो सकते हैं। स्पेस एजेंसियां चांद पर स्थायी बेस बनाना चाहती हैं, ताकि वहां से फ्यूचर मिशन्स को अंजाम दिया जा सके। चंद्रयान-3 उस दिशा में नई संभावनाएं ला सकता है। इसरो के बाद अब कल यानी 7 सितंबर को जापानी स्पेस एजेंसी (JAXA) भी चांद पर मिशन लॉन्च करने जा रही है। उसका SLIM लैंडर करीब 4 महीनों में चांद पर लैंड करने की कोशिश करेगा।