भारत का
चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan 3 Mission) अब से कुछ घंटों बाद चंद्रमा पर लैंड करने की कोशिश करेगा। अपने लेटेस्ट ट्वीट में भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने बताया है कि सभी सिस्टम नॉर्मल हैं। विक्रम लैंडर (LM) के तय पॉइंट पर पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। शाम लगभग 5:44 बजे जैसे ही विक्रम लैंडर सही पोजिशन पर आएगा, इंजनों को एक्टिवेट कर दिया जाएगा। चंद्रयान-3 मिशन को शाम 5:20 मिनट से
लाइव देखा जा सकेगा।
शाम करीब 6 बजकर 4 मिनट पर यह फाइनल हो जाएगा कि विक्रम लैंडर किस तरह से चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को पूरा करता है। विक्रम लैंडर के साथ मौजूद प्रज्ञान रोवर (Pragyaan Rover) जब चांद पर चहलकदमी करेगा, तब पूरी दुनिया भारत को सलाम करेगी। 14 जुलाई को लॉन्च हुए चंद्रयान-3 का अबतक का सफर कैसा रहा है, आइए तारीखों में जानते हैं।
14 जुलाई : LVM-3 M-4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचाया गया। उसी दिन चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की कक्षा में अपना सफर शुरू कर दिया था।
15 जुलाई : इसरो ने चंद्रयान की कक्षा को बढ़ाने की पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की। 17 जुलाई और 22 जुलाई को भी यही काम किया गया।
25 जुलाई : इसरो ने एक बार फिर चंद्रयान-3 को एक कक्षा से दूसरी कक्षा में भेजा।
1 अगस्त : इसरो ने ‘ट्रांसलूनर इंजेक्शन' (एक तरह का तेज धक्का) को सफलतापूर्वक पूरा किया और अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित किया। इसके बाद चंद्रयान-3 288 किलोमीटर x 369328 किलोमीटर की कक्षा में पहुंच गया था।
5 अगस्त : चंद्रयान-3 को सफलता के साथ चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा दिया गया। इसे लूनर ऑर्बिट इनसर्शन (चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की प्रक्रिया) कहा गया। तब चंद्रयान-3 की चांद से न्यूनतम दूरी 164 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 18 हजार 74 किलोमीटर थी।
6 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के और पास ले जाने की दूसरी कोशिश की। उसे 170 किलोमीटर x 4313 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा दिया। इसरो ने वो वीडियो भी रिलीज किया, जिसे चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करते हुए लिया था।
9 अगस्त : चंद्रमा के निकट पहुंचने की एक और प्रक्रिया के पूरा किया गया और चंद्रयान-3 की कक्षा को घटाकर 174 किलोमीटर x 1437 किलोमीटर कर दिया गया।
14 अगस्त : चंद्रमा के निकट पहुंचने की एक और प्रक्रिया पूरी हुई और चंद्रयान-3 अपने लक्ष्य से सिर्फ 151 किलोमीटर दूर रह गया। 16 अगस्त को चंद्रयान-3 को एक और कक्षा में पहुंचाया गया।
17 अगस्त : लैंडर मॉडयूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग किया गया। इसके बाद विक्रम लैंडर ने अपना सफर खुद शुरू किया।
19 अगस्त : इसरो ने विक्रम लैंडर की कक्षा को और कम किया। 20 अगस्त को भी यही प्रक्रिया दोहराई गई। इसके बाद लैंडर मॉड्यूल 25 किलोमीटर x 134 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा। यानी उसकी चांद से न्यूनतम दूरी 25Km और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई।
21 अगस्त : चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर से दोतरफा कम्युनिकेशन स्थापित किया। इसरो ने अपने ट्वीट में ‘वेलकम बडी' (स्वागत दोस्त) लिखकर लोगों को प्रक्रिया समझाई। लोगों को इसरो का यह अंदाज पसंद आया।
22 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) से ली गईं चांद की तस्वीरें रिलीज कीं। कैमरे ने 70 किलोमीटर की ऊंचाई से तस्वीर ली थी। इसरो ने बताया कि सभी सिस्टमों की रेगुलर जांच हो रही है।
23 अगस्त : इसरो को उम्मीद है कि आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर उसके दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर लेगा।