AI का इस्तेमाल कर IIM के एक स्टूडेंट ने पढ़ाई के प्रोजेक्ट में A+ ग्रेड हासिल कर लिया। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (IIMA) के स्टूडेंट युगांतर गुप्ता ने खुद यह जानकारी दी कि उसने अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद ली और ChatGPT का इस्तेमाल प्रोजेक्ट्स लिखने के लिए किया।
IIMA के स्टूडेंट युगांतर गुप्ता ने
LinkedIn पर इस बारे में जानकारी दी है कि कैसे उन्होंने
ChatGPT से प्रोजेक्ट्स लिखवाए और A+ ग्रेड हासिल किया। युगांतर गुप्ता का कहना है कि इंस्टीट्यूट में साहित्यिक चोरी प्रतिबंधित है, लेकिन AI के इस्तेमाल पर रोक नहीं है। गुप्ता को तब आश्चर्य हुआ जब AI द्वारा बड़े पैमाने पर तैयार किए गए असाइनमेंट ने उन्हें ए+ ग्रेड दिलाया। A+ एक दुर्लभ ग्रेड है जो आमतौर पर टॉप 5% छात्रों के लिए रिजर्व्ड होता है। युगांतर के इस पोस्ट ने शिक्षा में AI की भूमिका के बारे में एक बहस छेड़ दी है जिससे प्रयास, नैतिकता और सीखने के वास्तविक मूल्य के बारे में सवाल उठने लगे हैं।
युगांतर ने LinkedIn पर
लिखा, 'IIM अहमदाबाद में MBA असाइनमेंट, प्रोजेक्ट्स और रिपोर्ट्स से भरा हुआ है। यहां साहित्यिक चोरी पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन AI के इस्तेमाल की अनुमति है। IIM अहमदाबाद में किसी भी रिपोर्ट पर A+ ग्रेड हासिल करना बहुत ही मुश्किल है। कुछ प्रोफेसर पॉलिसी के अनुसार इसे किसी को भी नहीं देते हैं। वहीं, ज्यादातर इसे टॉप 5% या उससे कम तक ही सीमित रखते हैं। अर्थहीन होते हुए भी, A+ हमेशा एक मेडल की तरह लगता है।'
कॉसमेटिक्स पर अपने मार्केटिंग प्रोजेक्ट के लिए गुप्ता ने आठ स्टोर विजिट किए, खरीदारों को वहां ऑब्जर्व किया, उनके व्यवहार और सवालों पर वॉयस नोट्स लिए। फिर इन नोट्स को ChatGPT में डाला, जिसने एक शानदार रिपोर्ट तैयार की। इससे उन्हें A+ ग्रेड मिला, जो आईआईएम अहमदाबाद में सबसे अधिक संभव अंकों में से एक है।
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक ताजा बहस छेड़ दी है, जिसमें कुछ यूजर्स ने गुप्ता के दृष्टिकोण की तारीफ की, जबकि अन्य ने इसे संदेह की नजर से देखा। एक यूजर ने लिखा, 'AI भले ही चीजों या प्रक्रियाओं का गति दे सकता है लेकिन मानवीय जिज्ञासा, पहल और पहुंच की होड़ नहीं कर सकता है।' वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, 'मैं पूरी तरह से सहमत हूँ कि AI को एक श्राप के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे खुद को अधिक कुशल और बेहतर बनाने के लिए एक टूल के रूप में देखा जाना चाहिए। मैं अपने काम में यही कर रहा हूँ। साथ ही यह देखना भी अच्छा लग रहा है कि IIM अहमदाबाद AI के इस्तेमाल को सीमित नहीं करता है।'