मैलवेयर या बॉट एक तरह के सॉफ्टवेयर या मोबाइल ऐप्लिकेशन होते हैं, जिन्हें किसी कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस पर इस्तेमाल किए जा रहे सॉफ्टवेयर या इनके यूजर्स को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाया जाता है।
Android Malware : एंटीवायरस बनाने वाली कंपनी McAfee की मोबाइल रिसर्च टीम ने दावा किया है कि उसे 60 से ज्यादा ऐसे ऐप्स का पता चला, जिनमें गोल्डोसन (Goldoson) नाम का मैलेवयर है।
थाईलैंड की मिनिस्ट्री और डिजिटल इकॉनमी एंड सोसायटी (डीईएस) और नेशनल साइबर सुरक्षा एजेंसी (एनसीएसए) ने 203 ऐसे ऐप्स की खोज की है, जिनके मंसूबे अच्छे नहीं हैं।
Google द्वारा इस मामले में दी गई जानकारी में यह नहीं बताया गया है कि कौन से डिवाइस या ओईएम इससे प्रभावित हुए थे, लेकिन यह मालवेयर फाइलों के उदाहरण के हैश को दिखाता है।
शार्कबॉट मैलवेयर बेहद खतरनाक ट्रोजन है, जो लोगों की बैंकिंग डिटेल्स को चुराता है। ये मैलवेयर असली दिखने वाले बैंकिंग लॉग-इन फॉर्म्स दिखाते हैं, जिन्हें यूजर्स बिना शक किए भर देते हैं और अपने अहम लॉगइन डिटेल्स खतरनाक हाथों में डाल देते हैं।
ये ऐप्स अपना नाम और आइकन बदल देते हैं, जिससे यूजर को इस बात की भनक तक नहीं पड़ती कि उसके स्मार्टफोन पर एक ऐसा ऐप है, जो उसकी निजी जानकारी चुरा सकता है।
साइबरसिक्टोरिटी फर्म Evina के सिक्योरिटी रिसर्चर मैक्सिम इंग्राओ (Maxime Ingrao) ने बीचे बुधवार को एक ट्वीट थ्रेड के जरिए जानकारी दी कि उन्होंने 'Autolycos' नाम के मैलवेयर की खोज की, जो कम से कम 8 Android एप्लिकेशन में मौजूद थे।
चेक प्वाइंट रिसर्च के मुताबिक, 25 फरवरी को 4 मैलिसियज ऐप्स को देखा गया और 3 मार्च को गूगल को इसकी जानकारी दी गई। 9 मार्च को प्ले स्टोर से ऐप्स को हटाया गया।
Trend Micro का मोबाइल ऐप रेपुटेशन सर्विस (MARS) डेटा बताता है कि कई यूज़र्स द्वारा अभी भी 120 से अधिक नकली क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग ऐप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन ऐप्स में क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग की क्षमता भी नहीं है और ये यूज़र्स को इन-ऐप विज्ञापन दिखा कर धोखा देते हैं।
रिसर्चर का कहना है कि इस व्हाट्सऐप मैलवेयर (WhatsApp Malware) को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह एंड्रॉयड के क्विक रिप्लाई फीचर का इस्तेमाल करता है।
इस मैलवेयर को ओवरले अटैक,स्पैम, एसएमएस चोरी और शिकार को लॉन्चर में लॉक करने जैसे कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कीलॉगर की तरह भी काम करता है, जो हैकर्स को यूज़र की वित्तीय जानकारियों को हासिल करने में मदद करता है।