अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के Goddard Space Flight Centre में स्पेस फिजिसिस्ट, Denny Oliveira ने पिछले कुछ वर्षों में धरती पर वापस गिरे स्टारलिंक के 523 सैटेलाइट्स पर एक स्टडी की अगुवाई की है। इस स्टडी में पता चला है कि सूर्य में विस्फोटों से बनने वाले जियोमैग्नेटिक तूफानों से वातावरण में खिंचाव बढ़ता है और इससे सैटेलाइट्स ऑर्बिट से गिरकर तेजी से वातावरण में दोबारा एंट्री करते हैं।
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के लिए ऐसी भविष्यवाणी की है जो डराने वाली है। वैज्ञानिकों ने वो समय बता दिया है जब पृथ्वी पर जीवन खत्म हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने सुपरकंप्युटर सिमुलेशन का इस्तेमाल किया और बताया कि एक दिन पृथ्वी पर जिंदा रहना असंभव हो जाएगा। स्टडी कहती है कि एक दिन पृथ्वी की जीवनदायनी गैस ऑक्सीजन पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। यह घटना करीबन 1 अरब वर्ष बाद घटित हो चुकी होगी।
हाल ही में हुईं कुछ स्टडीज से पता चला है कि धूमकेतुओं के टकराने से पृथ्वी के वायुमंडल पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। ये ग्रहों के वातावरण को प्रभावित कर सकते हैं, विशेष रूप से वे ग्रह जो एम-ड्वार्फ तारों की परिक्रमा करते हैं। इन नतीजों ने न केवल ग्रहों के निर्माण की समझ को बढ़ाया है, बल्कि सुदूर रहने योग्य दुनिया की पहचान करने की उम्मीद भी जगाई है।
वैज्ञानिकों के लिए बैक्टीरिया के शुरुआती विकास की टाइमलाइन जानना बहुत ही कठिन रहा है। लेकिन अब मशीन लर्निंग की बदौलत वैज्ञानिक कई जानकारी जुटा पाने में सक्षम हो गए हैं। Science में प्रकाशित हमारी नई रिसर्च के अनुसार, लगभग 2.4 अरब वर्ष पहले पृथ्वी के ऑक्सीजन से संतृप्त होने से बहुत पहले ही कुछ बैक्टीरिया ने ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने की क्षमता विकसित कर ली थी।
इंसानों ने अभी तक पृथ्वी को नीले रंग में ही देखा है। नई स्टडी कहती है कि अतीत में एक ऐसा भी समय था जब पृथ्वी के महासागर हरे रंग में चमकते थे! Nature जर्नल में इस स्टडी को प्रकाशित किया गया है। जिसमें बताया गया है कि लगभग 2.4 अरब साल पहले, आर्कियन काल (Archaean era) में पृथ्वी के महासागर हरे रंग में नहाए नजर आते थे।
पृथ्वी की अंतरिक्ष आयु के लिए एक बड़ा खतरा पैदा होता जा रहा है। मनुष्य लगातार पृथ्वी की निचली कक्षा में स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट्स भेजता है। इसके चलते पृथ्वी की कक्षा में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। इसी के साथ यहां पर अंतरिक्षीय कचरा भी घूम रहा है। इनमें पुराने सैटेलाइट्स, स्पेसक्राफ्ट्स के टुकड़े और अन्य तरह का मलबा मंडरा रहा है जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर परिक्रमा करने में मनुष्य ने कामयाबी हासिल कर ली है। और इसी की बदौलत पहली बार अंतरिक्ष से पृथ्वी की उस जगह की तस्वीरें सामने आई हैं जो अब से पहले कभी नहीं देखी गई थी। स्पेस से पहली बार पृथ्वी के ध्रुवों का नजारा तस्वीरों में कैद हुआ है जिसे Elon Musk की कंपनी SpaceX ने अपने प्राइवेट मिशन Fram2 के तहत अंजाम दिया है।
पृथ्वी के बाहर जीवन के बारे में एक और नई खोज वैज्ञानिकों के हाथ लगी है। पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावना वाले ग्रहों में वे ग्रह भी शामिल हैं जो बौने सफेद तारों (White Dwarfs) के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। ये ऐसे तारे होते हैं जो अपनी अधिकतम ऊर्जा खर्च कर चुके होते हैं। इनमें बहुत थोड़ी ऊर्जा बची होती है। लेकिन इनके ग्रह जीवन को पनाह दे सकते हैं।
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और बुच विल्मोर (Butch Wilmore) 9 महीने बाद अपने घर लौट आए हैं। नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर पिछले साल 8 दिनों के स्पेश मिशन पर निकले थे जो कि 9 महीने लंबा खिंच गया। लेकिन आखिरकार दोनों ही अंतरिक्ष यात्री आज सुबह पृथ्वी पर लौट आए हैं।
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से धरती पर लौटने के लिए तैयार हैं। यह स्पेसक्राफ्ट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से अनडॉक हो चुका है और बुधवार सुबह 3:30 बजे भारतीय समयानुसार लैंड करेगा। नासा ने इस मिशन का शेड्यूल जारी किया है, लेकिन मौसम की स्थिति के आधार पर इसमें बदलाव संभव है।
NASA ने एस्टरॉयड 2024 YR4 को लेकर फिर से एक रिपोर्ट जारी की है। एजेंसी ने एस्टरॉयड के टकराने की संभावना को अब घटा दिया है। पहले यह 32 में से एक थी, और अब यह 360 में से 1 हो गई है। इस एस्टरॉयड का अनुमानित साइज 55 मीटर बताया गया है। अंतरिक्ष से जो अगली चिंताजनक आफत है वह 1950 DA नाम का एस्टरॉयड है।
चंद्रयान-4 का कुल भार लगभग 9,200 किलोग्राम का होगा। यह चंद्रयान-3 की तुलना में दोगुने से अधिक है। इसका साइज अधिक होने की वजह से दो लॉन्च व्हीकल मार्क- III (LVM 3) रॉकेट्स का इस्तेमाल जरूरी है। ये रॉकेट पांच विभिन्न मॉड्यूल्स को धरती के ऑर्बिट में ले जाएंगे, जहां चंद्रमा की यात्रा से पहले इन मॉड्यूल्स की डॉकिंग की जाएगी।
Astronomy & Astrophysics में पब्लिश की गई एक स्टडी बताती है कि वैज्ञानिकों द्वारा पृथ्वी के पास स्थित HD 20794 d नाम के एक एक्सोप्लैनेट की पुष्टि की गई है। इस ग्रह पर पहली बार 2022 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के डॉ. माइकल क्रेटिनियर ने चिली में HARPS स्पेक्ट्रोग्राफ के डेटा का उपयोग करके संदेह जताया था। इस उपकरण ने ग्रह के मेजबान तारे से लाइट में छोटे बदलावों का पता लगाया, जिससे पता चला कि कुछ है, जो इसकी परिक्रमा कर रहा था।
एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने हाल ही में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की टेल में लगभग 165,000 किमी दूर एक कोरस तरंग का पता लगाया है। यह पहले के अंदाजे से कहीं अधिक दूर है। अब तक, ये तरंगें पृथ्वी के केवल 51,000 किलोमीटर के भीतर ही देखी गई थीं, जहां मैग्नेटिक फील्ड अधिक संरचित है। रिसर्चर्स का मानना था कि टेल में फैला हुई मैग्नेटिक फील्ड ऐसी तरंगों को बनने की अनुमति नहीं देगा, लेकिन यह नई खोज इसके परे कुछ अलग ही साबित करती है।
पृथ्वी पर एक एस्टरॉयड के टकराने से बेहद विनाशकारी मंजर फैल सकता है जिसे लेकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक चेता रहे हैं। फुटबॉल के मैदान के आकार का यह एस्टरॉयड धरती से टकराने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह लगभग 8 साल बाद धरती से टकराने की स्थिति में पहुंच सकता है। इसके धरती से टकराने की संभावना 1% से ज्यादा बताई गई है। इसका नाम एस्टरॉयड 2024 YR4 है।