टेलीकॉम कंपनी Vodafone को 1,050 करोड़ रुपये की पेनल्टी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड को एक एग्रीमेंट के तहत इंटर-कनेक्टिविटी देने को लेकर कथित तौर पर मना करने के कारण वोडाफोन पर पेनल्टी लगाई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि
TRAI की इस सिफारिश को को हाई कोर्ट के अलावा टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्राइब्यूनल (TDSAT) में भी चुनौती दी गई है। कोर्ट का कहना था कि इस तरह के मामलों में फैसले के लिए ट्राइब्यूनल की विशेषज्ञता है। चीफ जस्टिस Satish Chandra Sharma और जस्टिस Subramonium Prasad की बेंच ने बताया कि TDSAT के पास TRAI एक्ट के तहत इस तरह के विवादों का निपटारा करने की शक्ति है। ये पेनल्टी वोडाफोन की दो कंपनियों पर लगाई गई थी।
केंद्र सरकार ने एक ऑर्डर पारित कर लाइसेंस एग्रीमेंट और बेसिक टेलीफोन सर्विस के रेगुलेशंस और सेल्युलर मोबाइल टेलीफोन सर्विस रेगुलेशंस का उल्लंघन करने के कारण इन कंपनियों पर पेनल्टी लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि ट्राइब्यूनल के सरकार की ओर से पारित ऑर्डर को कानून के तहत उचित नहीं होने का निष्कर्ष देने के बाद TRAI की इससे पहले दी गई सिफारिश लागू नहीं होगी।
Vodafone ने अगले तीन वर्षों में 11,000 वर्कर्स की छंटनी करने की योजना बनाई है।
वोडाफोन का पिछले फाइनेंशियल ईयर में ग्रुप रेवेन्यू लगभग फ्लैट रहा है। इसने 45.7 अरब यूरो का रेवेन्यू हासिल किया। हालांकि, इसका नेट प्रॉफिट बढ़कर लगभग 11.8 अरब यूरो पर पहुंच गया। यह इससे पिछले फाइनेंशियल ईयर में 2.2 अरब यूरो का था। प्रॉफिट में बढ़ोतरी का बड़ा कारण वोडाफोन का अपनी यूरोपियन टावर डिविजन Vantage Towers में हिस्सेदारी बेचना है। हाल ही में वोडाफोन की नई चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, Margherita Della Valle ने कहा, "हमारा प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहा है। हम ऑर्गनाइजेशन में जटिलता समाप्त करेंगे जिससे प्रतिस्पर्धा की क्षमता को बढ़ाया जा सके।" कंपनी के पिछले CEO, Nick Read ने दिसंबर में इस्तीफा दिया था। उन्होंने कंपनी में चार वर्ष बिताए थे और इस दौरान वोडाफोन के शेयर प्राइस में भारी गिरावट हुई थी। Nick की अगुवाई में कंपनी की ब्रिटेन के कारोबार को प्रतिद्वंदी कंपनी Three UK के साथ मर्ज करने को लेकर बातचीत चल रही थी।