बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों में शामिल Samsung को भारत में टेलीकॉम इक्विपमेंट के इम्पोर्ट पर टैरिफ को बचाना महंगा पड़ा है। कंपनी को 60.1 करोड़ डॉलर (लगभग 5,140 करोड़ रुपये) से अधिक का पिछला टैक्स और पेनल्टी चुकाने का ऑर्डर दिया गया है। हाल के वर्षों में यह इस तरह की सबसे बड़ी टैक्स डिमांड्स में से एक है।
देश के कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली सैमसंग का पिछले वर्ष भारत में नेट प्रॉफिट 95 करोड़ डॉलर से अधिक का था। यह अपनी नेटवर्क डिविजन के जरिए भी टेलीकॉम इक्विपमेंट का इम्पोर्ट करती है। टैरिफ से बचने के लिए इम्पोर्ट के गलत क्लासिफिकेशन को लेकर सैमसंग को लगभग दो वर्ष पहले एक चेतावनी भी दी गई थी। इस कंपनी ने टेलीकॉम इक्विपमेंट का इम्पोर्ट कर उसे बिलिनेयर Mukesh Ambani की टेलीकॉम सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनी Reliance Jio को बेचा था। सैमसंग ने इस मामले की स्क्रूटनी को रोकने की भी कोशिश की थी। कंपनी ने कहा था कि इम्पोर्ट किए गए इक्विपमेंट पर टैरिफ नहीं लगता।
हालांकि, कस्टम्स अथॉरिटीज ने सैमसंग की इस दलील को गलत बताया था और इसे लेकर एक ऑर्डर जारी किया था। यह ऑर्डर सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन Reuters ने इसे देखा है। इस
ऑर्डर में कहा गया है कि सैमसंग ने देश के कानूनों का उल्लंघन किया है और कस्टम्स अथॉरिटीज के सामने क्लीयरेंस के लिए जानबूझ कर गलत दस्तावेज पेश किए थे। इस ऑर्डर में कमिश्नर ऑफ कस्टम्स, Sonal Bajaj ने कहा है कि जांच में पाया गया था कि सैमसंग ने व्यवसाय से जुड़े सभी नैतिक मूल्यों और इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड्स को अपने मुनाफे को अधिकतम करने के लिए तोड़ा है।
इस ऑर्डर में देश में
सैमसंग के सात एग्जिक्यूटिव्स पर भी 8.1 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया गया है। इन एग्जिक्यूटिव्स में कंपनी की नेटवर्क डिविजन के वाइस प्रेसिडेंट, Sung Beam Hong, चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर, Dong Won Chu, जनरल मैनेजर (फाइनेंस), Sheetal Jain और जनरल मैनेजर (इनडायरेक्ट टैक्सेज), Nikhil Aggarwal शामिल हैं। इस बारे में सैमसंग ने एक स्टेटमेंट में कहा कि यह मुद्दा कस्टम्स की ओर से गुड्स के क्लासिफिकेशन की व्याख्या से जुड़ा है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि वह देश के कानूनों का पालन करती है।
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