देश में टेलीकॉम सर्विसेज को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में केंद्र सरकार के अस्थायी कंट्रोल में देने की अनुमति वाला टेलीकम्युनिकेशन बिल गुरुवार को संसद में पारित हो गया। इस बिल में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज के लिए बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम देने का भी प्रावधान है। इस बिल को राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया। लोकसभा में बुधवार को इसे हरी झंडी मिली थी।
इसमें सरकार को सार्वजनिक आपात स्थिति या जनता की सुरक्षा के हित में केंद्र सरकार को किसी
टेलीकॉम नेटवर्क का कंट्रोल लेने की अनुमति है। इसके साथ ही इसमें सार्वजनिक आपात स्थिति, जनता के हित में या अपराध करने के लिए उकसाने से रोकन के मामले में मैसेजेज का ट्रांसमिशन या उन्हें इंटरसेप्ट करने की भी अनुमति होगी। इस बिल में कहा गया है कि केंद्र या राज्य सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के प्रेस मैसेजेज को तब तक इंटरसेप्ट नहीं किया जाना चाहिए जब तक उनका ट्रांसमिशन सार्वजनिक आपात स्थिति और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए लागू नियमों के तहत प्रतिबंधित नहीं है।
कम्युनिकेशंस मिनिस्टर Ashwini Vaishnaw ने बहस के उत्तर में कहा कि टेलीकम्युनिकेशंस बिल 2023 नए भारत की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश जमाने के दो कानूनों को बदलने के लिए लाया गया है। उन्होंने बताया कि देश में टेलीकॉम टावर्स की संख्या बढ़कर लगभग 25 लाख और ब्रॉडबैंड इंटरनेट यूजर्स की लगभग 85 करोड़ हो गई है।
यह बिल 138 वर्ष पुराने Indian Telegraph Act की जगह लेगा, जो इस सेक्टर पर नियंत्रण करता है। इस बिल में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए नीलामी के बजाय लाइसेंस के जरिए स्पेक्ट्रम एलोकेट करने के प्रपोजल से देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी
Reliance Jio को झटका लगेगा। विदेशी इंटरनेट सर्विस कंपनियों ने इस स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस देने की डिमांड की थी। इन कंपनियों का मानना है कि अगर भारत में इसके लिए नीलामी होती है तो अन्य देशों में भी इस तरीके को लागू किया जा सकता है। इससे इन कंपनियों की कॉस्ट और इनवेस्टमेंट में बढ़ोतरी हो जाएगी। रिलायंस जियो का मानना है कि इस स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी करना सही तरीका है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति Elon Musk की कंपनी स्टारलिंक चाहती है कि सरकार स्पेक्ट्रम की नीलामी न करे और अन्य देशों की तरह इस सर्विस शुरू करने के लिए लाइसेंस जारी करे।