भारत में पिछले महीने ही 5G मोबाइल नेटवर्क की शुरुआत हुई है। देशभर में इसका विस्तार होने में अभी करीब 2 से 3 साल लगने की उम्मीद है। दुनिया के बाकी देशों से तुलना करें खासकर चीन से, तो वह इसमें काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीन में 6G पर काम शुरू हो गया है। चीनी कंपनी ZTE ने ऐलान किया है कि उसने 1 मिलियन गीगाबिट्स (1 million Gigabits) की अद्भुत नेटवर्क स्पीड की खोज में 6G पर रिसर्च शुरू की है। कंपनी ने कहा है कि वह टेक्नॉलजी में नए इनोवेशन और आरएंडडी में निवेश के लिए प्रतिबद्ध है।
रिपोर्ट्स के
अनुसार, साल 2022 में ZTE ने रिसर्च पर 16 बिलियन युआन (लगभग 183 अरब रुपये) खर्च किए हैं। यह इस अवधि में कंपनी की ऑपरेटिंग इनकम का करीब 17 फीसदी है। कंपनी का मानना है कि 6G मोबाइल कम्युनिकेशन के क्षेत्र में अगली बड़ी चीज है। हालांकि इसका डेवलपमेंट अपने शुरुआत चरण में है।
जेडटीई का मकसद 6जी के डेवलपमेंट में आगे आना है। कंपनी R&D कर्मचारियों पर फोकस करेगी। उसका कहना है कि R&D स्ट्रैटिजी इस उद्यम विकास का महत्वपूर्ण आधार है। कंपनी अपने ऑपरेटिंग इनकम का लगभग 10 फीसदी आरएंडडी पर खर्च कर रही है। उसका कहना है कि 6G तकनीक के डेवलपमेंट के लिए वह अपनी कोशिशों को जारी रखेगी।
अनुमान लगाया जाता रहा है कि साल 2030 तक दुनिया में 6G नेटवर्क की शुरुआत हो सकती है। ZTE अकेली नहीं है, जो इस पर काम कर रही है। कई बड़ी कंपनियां 6G की टेस्टिंग में लगी है। हाल ही में
एलजी ने इसमें कामयाबी पाई है। दक्षिण कोरियाई टेक्नोलॉजी दिग्गज ने 320 मीटर की दूरी पर 155 से 175 गीगाहर्ट्ज (Ghz) की फ्रीक्वेंसी रेंज में 6G टेराहर्ट्ज (THz) डेटा के वायरलेस ट्रांसमिशन और रिसेप्शन का सफल परीक्षण किया है।
भारत भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि देश इस दशक के आखिर तक 6G सर्विसेज को भी पेश करने की तैयारी कर रहा है। पीएम मोदी ने यह घोषणा ‘स्मार्ट इंडिया हैकथॉन 2022' ग्रैंड फिनाले को संबोधित करते हुए की थी। जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका पर 6जी पर तेजी से काम कर रहे हैं।