Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर (LM) की चांद पर सफल लैंडिंग से भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) का जोश हाई है! स्पेस एजेंसी ने अपने आगामी मिशनों को भी गति दे दी है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब बुधवार को देश को संबोधित किया, तो इसरो के आदित्य एल-1 मिशन का जिक्र हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने बुधवार को ऐलान किया कि सूर्य की स्टडी करने के लिए भेजा जाने वाला आदित्य-एल1 मिशन संभवत: सितंबर के पहले सप्ताह में लॉन्च किया जाएगा। यानी चांद पर सफल लैंडिंग करने वाली इसरो अब ‘सूर्य नमस्कार' के लिए तैयार है।
इसरो की
वेबसाइट बताती है कि आदित्य एल1 मिशन सूर्य की स्टडी करने वाला पहला स्पेस बेस्ड भारतीय मिशन होगा। पृथ्वी से लॉन्च करने के बाद Aditya-L1 स्पेस ऑब्जर्वेट्री को सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लैग्रेंज बिंदु-1 (एल-1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा (halo orbit) में पहुंचाया जाएगा। यह कक्षा, पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। उस पॉइंट पर पहुंचने का मतलब है कि ऑब्जर्वेट्री हमेशा सूर्य पर नजर बनाए रख सकेगी। आदित्य एल-1 मिशन का काम होगा सौर गतिविधियों और स्पेस वेदर का पता लगाना। डेटा को इसरो तक भेजा जाएगा, जिससे यह आकलन करना आसान होगा कि सूर्य की वजह से पृथ्वी किसी मुसीबत में तो नहीं!
ANI की रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो प्रमुख ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा है और संभवत: आदित्य एल-1 मिशन को सितंबर के पहले सप्ताह में लॉन्च किया जाएगा।
120 दिन में मंजिल पर पहुंचेगा ‘आदित्य'
एस. सोमनाथ ने बताया कि लॉन्च के बाद ‘आदित्य' एल-1 स्पेसक्राफ्ट एक अंडाकार कक्षा में जाएगा और वहां से अपनी यात्रा को पूरा करेगा। लैग्रेंज बिंदु-1 (एल-1) तक पहुंचने में उसे 120 दिन लगेंगे। याद रहे कि इस दौरान स्पेसक्राफ्ट 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। चंद्रयान-3 को चांद पर पहुंचने में 41 दिनों का समय लगा और उसने 3 लाख किलोमीटर से कुछ ज्यादा का सफर तय किया।
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