पृथ्वी गर्म हो रही है और हमारी जिंदगी पर इसका असर पड़ रहा है। एक हालिया अध्ययन ने इससे जुड़ी चिंताओं को और बढ़ा दिया है। इसमें कहा गया है कि समुद्र का गर्म पानी पूर्वी अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों की ओर बढ़ रहा है। इससे दुनिया भर के समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी और तेज होने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह समुद्री जीवन को नुकसान पहुंचाएगा और तटीय इलाकों में मानव बस्तियों के लिए खतरा बनेगा। रिसर्चर्स पश्चिमी अंटार्कटिक में बर्फ की चादरों के पिघलने और इसकी वजह से समुद्र के बढ़ते स्तर के बारे में जानते थे, लेकिन पूर्वी अंटार्कटिक में ऐसा हो रहा है, इसकी उन्हें बहुत कम जानकारी थी।
रिसर्चर्स ने हिंद महासागर में तट से बहुत दूर अपनी स्टडी पर फोकस किया। इस जगह को ऑरोरा सबग्लेशियल बेसिन के रूप में जाना जाता है। जमे हुए समुद्र का इसका क्षेत्र पूर्वी अंटार्कटिक के बर्फ की चादर का हिस्सा है। यह दुनिया की सबसे बड़ी बर्फ की चादर है। ऑरोरा सबग्लेशियल बेसिन समुद्र तल से नीचे है, जिसके गर्म पानी की वजह से पिघलने की अधिक संभावना है।
नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित
स्टडी में बताया गया है कि टीम ने ऑरोरा सबग्लेशियल बेसिन से 90 साल के समुद्र संबंधी डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि 20वीं शताब्दी के पहले समुद्र 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की दर से गर्म हो रहा था। 1990 के दशक से यह दर तीन गुना हो गई है और हर दशक में इसमें बढ़ोतरी हो रही है।
तापमान में इस बढ़ोतरी को रिसर्चर्स ने दक्षिणी महासागर के ऊपर बहने वाली तेज पश्चिमी हवाओं की एक बेल्ट से जोड़ा। ये हवाएं 1960 के दशक से अंटार्कटिका के दक्षिण की ओर बढ़ रही हैं। ऐसा संभवत: ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी की वजह से है, जिसके कारण गर्मियों में अंटार्कटिका की ओर पछुआ हवाएं चल रही हैं और अपने साथ गर्म पानी ला रही हैं।
अब तक रिसर्चर्स को यही लगता था कि पूर्वी अंटार्कटिक में स्थित बर्फ की चादर स्थिर है और गर्म पानी से प्रभावित नहीं है। लेकिन स्टडी से पता चला है कि यहां भी गर्म पानी का असर हो रहा है। इस क्षेत्र में पानी के तापमान में वृद्धि समुद्री इकोसिस्टम के लिए खतरा बन गई है।