धरती से 400 किलोमीटर ऊपर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रहने वाले अंतरिक्ष यात्री एक दिन में सिर्फ एक बार सूर्योदय या सूर्यास्त नहीं देखते। उनके साथ ऐसा 16 बार होता है। मौजूदा समय में भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री
सुनीता विलियम्स भी आईएसएस पर हैं और वह भी हर रोज 16 बार सूर्य को उदय और अस्त होते हुए देखती हैं। साल 2013 में जब सुनीता भारत आई थीं, तो उन्होंने यह वाकया शेयर किया था। गौरतलब है कि तब गुजराज यूनिवर्सिटी में सुनीता विलियम्स को सम्मानित किया गया था।
अपने एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए सुनीता ने बताया था कि मैं अंतरिक्ष में जाना चाहती थी और इसके लिए कड़ी मेहनत की। मैं भाग्यशाली थी कि मुझे एक हाईस्पीड स्पेसक्राफ्ट में एक दिन में 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखने को मिले।
सुनीता विलियम्स एक बार फिर अंतरिक्ष में पहुंची हैं। उनके साथी बुच विलमोर और अन्य एस्ट्रोनॉट्स भी वहां हैं। सुनीता और बुच ने बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर उड़ान भरी थी। आईएसएस पर डॉक करने के बाद स्टारलाइनर में खराबी आ गई और उसे बिना एस्ट्रोनॉट्स के धरती पर लाना पड़ा। इस वजह से सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अंतरिक्ष में ही रह गए। अब वह अगले साल फरवरी में धरती पर लौट पाएंगे।
ISS पर क्यों होता है 16 बार सूर्योदय-सूर्यास्त
रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की रफ्तार 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे है। वह पृथ्वी का एक चक्कर 90 मिनट में लगा लेता है। पृथ्वी के चारों ओर इतनी तेज रफ्तार की वजह से अंतरिक्ष यात्री हर 45 मिनट में सूर्योदय या सूर्यास्त को देखते हैं। आम इंसान के साथ ऐसा दिन में एक ही बार होता है।
अंतरिक्ष यात्री जब आईएसएस पर होते हैं, तो उनके सामने हर 45 मिनट में या तो सूर्योदय होता है या सूर्यास्त। इस दौरान एस्ट्रोनॉट यूनिवर्सल टाइम का पालन करते हैं और उसी हिसाब से अपने रोजाना के कामकाज को पूरा करते हैं।