हमारा सूर्य अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है और बहुत अधिक एक्टिव फेज में है। इसकी वजह से विशाल सौर विस्फोटों के बार-बार होने की संभावना है। इसी क्रम में सूर्य की सतह में मौजूद एक ‘छेद' से निकलने वाली तेज स्पीड की सौर हवाओं ने पृथ्वी पर जियोमैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय तूफान की संभावना बढ़ा दी है। आज यानी 3 अगस्त को पृथ्वी पर इसका असर हो सकता है। हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने एक चेतावनी में कहा था कि सूर्य में होने वाले विस्फोट साल 2025 तक जारी रहेंगे। इसकी वजह से सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष यात्रियों पर असर पड़ सकता है। बिजली ग्रिड प्रभावित हो सकते हैं। यह सोलर साइकल 25 है, जिसकी शुरुआत दिसंबर 2019 से लगाई गई है।
स्पेसवेदरडॉटकॉम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एनओएए (नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन) ने इसकी भविष्यवाणी की है। पता चला है कि ‘सूर्य के वायुमंडल में एक दक्षिणी छिद्र से गैसीय पदार्थ बह रहा है।' इसी क्रम में पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट्स ने रविवार को सूर्य के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में एक विस्फोट की खोज की, जो सौर ज्वालाओं के साथ जुड़ने पर एक भू-चुंबकीय तूफान का कारण बन सकता है।
वहीं, नासा का कहना है कि साल 2025 में हम सूर्य के 11 साल के सौर चक्र के पीक पर पहुंचेंगे, जिसे सोलर मैक्सिमम भी कहा जाता है। इस वजह से कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और सोलर फ्लेयर्स की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। इस अवधि के दौरान सूर्य आग के एक शांत गोले से सक्रिय और तूफानी गोले में बदल देता है और फिर शांत हो जाता है। इस दौरान सूर्य से पृथ्वी की ओर कोरोनल मास इजेक्शन और सोलर फ्लेयर्स उत्सर्जित होते हैं। इसकी वजह से पृथ्वी पर भू-चुंबकीय तूफान आते हैं।
ये तूफान औरोरा भी बना सकते हैं, जिसको लेकर दुनियाभर के खगोलविदों में उत्सुकता रहती है। वहीं बात करें सौर फ्लेयर्स की तो जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है।
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