सूर्य में हो रही हलचलों का दौर बीते कुछ दिनों से थमा हुआ था, लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है। सितंबर की शुरुआत के साथ सौर गतिविधियां फिर तेज हो गई हैं। एक के बाद एक सूर्य में सनस्पॉट उभर रहे हैं। पता चला है कि सूर्य में बने सनस्पॉट से एक चुंबकीय फिलामेंट का उत्सर्जन हुआ है। इससे
कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के बड़े बादल पृथ्वी की ओर आ रहे हैं। 2 सितंबर को यह हमारे ग्रह को प्रभावित कर सकते हैं। याद रहे कि कल ही भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल-1 (Aditya L1) भी लॉन्च हो रहा है।
स्पेसवेदरडॉटकॉम की
रिपोर्ट के अनुसार, 30 अगस्त की रात सूर्य में एक चुंबकीय फिलामेंट फट गया। इसके कारण सूर्य के उत्तरी गोलार्ध (northern hemisphere) में आग के बड़े बवंडर उठे और हमारे ग्रह पर कोरोनल मास इजेक्शन (CME) का खतरा बढ़ गया है। नासा के
मॉडल में अनुमान जताया गया है कि 2 सितंबर को सौर तूफान (Solar Storm) पृथ्वी से टकरा सकता है। यह G1 का हो सकता है, जो बहुत पावरफुल नहीं होते। इनकी वजह से सैटेलाइट्स को खतरा नहीं होता ना ही ये धरती पर मोबाइल नेटवर्क को कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हालांकि ऐसे तूफान अस्थायी रूप से रेडियो ब्लैकआउट की वजह बन सकते हैं। ऊंचे इलाकों में आसमान में ऑरोरा नजर आ सकते हैं। कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी बता चुकी है कि सूर्य में बार-बार सौर विस्फोटों के होने की संभावना है। यह विस्फोट और इनमें बढ़ोतरी साल 2025 तक जारी रहेगी। इसकी वजह से सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष यात्रियों पर असर पड़ सकता है। यह सोलर साइकल 25 है, जिसकी शुरुआत दिसंबर 2019 से लगाई गई है।