ब्लैक होल (Black hole) ऐसा विषय है, जो हमेशा से वैज्ञानिकों को रोमांचित करता आया है। इसके रहस्य को सुलझाने में जुटे साइंटिस्टों ने एक लैब में ब्लैक होल बनाया है। एक नई स्टडी में कहा गया है कि करीब एक दशक पुराने स्टीफन हॉकिंग सिद्धांत (Stephen Hawking theory) को टेस्ट करने के लिए रिसर्चर्स ने लैब में ब्लैक होल की स्थितियों को डेवलप किया। अंतरिक्ष में मौजूद अदृश्य जगह है ब्लैक होल। इनमें इतना अधिक गुरुत्वाकर्षण होता है कि उसके असर से कोई भी नहीं बच पाता, सूर्य से निकलने वाली रोशनी भी नहीं। स्टडी के तहत ब्लैक होल को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने परमाणुओं की सिंगल-फाइल चेन का इस्तेमाल किया।
इसके बाद जो हुआ उसे 'हॉकिंग रेडिएशन' के नाम से जाना जाता है। यही वह थ्योरी है, जिसे भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग ने प्रस्तावित किया था। द सन की
रिपोर्ट के अनुसार, हॉकिंग रेडिएशन उन काल्पनिक (hypothetical) कणों के बारे में बताता है जो क्वांटम प्रभावों के कारण ब्लैक होल की सीमाओं के बाहर पैदा होते हैं।
वर्तमान में दो सिद्धांत हैं जिनका मकसद हमारे ब्रह्मांड के इनर वर्किंग की व्याख्या करना है। पहला है, सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत (general theory of relativity) और दूसरा, क्वांटम यांत्रिकी (quataum mechanics)। लेकिन वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल का जो नया सिम्युलेशन किया और हॉकिंग रेडिएशन की थ्योरी, इन दोनों फ्रेमवर्क को एकजुट करने में मदद कर सकती है।
आप पूछेंगे कैसे? वर्तमान में हमारे पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि ब्लैक होल को पार करने के बाद किसी चीज का क्या होता है। लेकिन 1974 में स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि क्वांटम उतार-चढ़ाव (fluctuations) में इससे जुड़ी जानकारी छिपी हो सकती है। नई स्टडी में ब्लैक होल को रेडिएशन की वजह से 'चमकते' हुए दिखाया गया है।
स्टडी से जुड़ी वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि इससे उन मैटर्स की खोज का रास्ता खुल सकता है, जो ब्लैक होल में जाने के बाद ‘लापता' हो जाते हैं। नई स्टडी भविष्य के लिए मददगार हो सकती है। ध्यान देने वाली बात है कि वैज्ञानिकों ने हाल ही में पृथ्वी से सिर्फ 1,560 प्रकाश वर्ष दूर एक ब्लैक होल की खोज की है, जो पृथ्वी सबसे नजदीक मिला ब्लैक होल है।