पृथ्वी के गर्भ में क्या छिपा है, ये जानना धरती पर रहने वाले इंसानों के लिए रुचि का विषय हो सकता है। वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश की और पाया कि धरती की सतह के नीचे माउंट एवरेस्ट से भी 4-5 गुना ऊंचाई रखने वाली चट्टानें मौजूद हैं। एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी से एक्सपर्ट टीम ने इसका पता लगाया है। आइए जानते हैं पृथ्वी के नीचे मौजूद ये चट्टानें कैसी बताई गई हैं।
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धरती की मुख्यत: तीन परतें बताई जाती हैं। इनमें सबसे ऊपरी पतली सतह, जिस पर पानी, मिट्टी, जीवन आदि मौजूद है, को क्रस्ट (Crust)कहते हैं। इसके नीचे खनिज पदार्थों से बनी मेंटल (Mantle) शुरू हो जाती है, जो सबसे भीतरी और तीसरी परत- कोर (
Core) तक जाती है। कोर के बारे में कहा जाता है कि यह तरल पदार्थों से भरी है जहां पर इतनी गर्मी है कि कोई भी वस्तु वहां ठोस रूप में मौजूद नहीं रह सकती है। वहां सबकुछ तरल रूप में मौजूद है।
अब वैज्ञानिकों को मेंटल और कोर के बीच
माउंट एवरेस्ट से भी 4 गुना ऊंची चट्टानों का पता लगा है। BBC की
रिपोर्ट के अनुसार, एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी से एक्सपर्ट्स की टीम ने इसके लिए सिस्मोलॉजी तकनीक का इस्तेमाल किया। अंटार्कटिका के सिस्मोलॉजी सेंटर से इनका पता लगाने की कोशिश की गई। ये चट्टानें 2900 किलोमीटर नीचे मौजूद हैं। कहा जाता है कि यहीं से कोर शुरू होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनमें बहुत ही कम हलचल है और इसी वजह से ये अभी तक छुपी हुई थीं। इन्हें अल्ट्रा लो वेलोसिटी जोन कहा गया है। लेकिन भारी भूकंपों और एटॉमिक विस्फोटों द्वारा जब पर्याप्त सिस्मिक डेटा वैज्ञानिकों को उपलब्ध हुआ, तब जाकर इनके बारे में वैज्ञानिकों को पता लगा।
रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये 38 किलोमीटर तक ऊंची हैं। जबकि धरती की सतह पर मौजूद सबसे ऊंचे पर्वत एवरेस्ट की ऊंचाई सिर्फ 8.8 किलोमीटर है। इनके निर्माण के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि ये काफी पुराने समय से यहां मौजूद हैं, जब महासागरीय क्रस्ट का निर्माण पृथ्वी के भीतर हुआ होगा। या फिर टेक्टॉनिक प्लेटों के मेंटल की ओर सरकने के कारण ये बनी हैं। ये बेसाल्ट चट्टानों और समुद्री सतह पर पाए जाने वाले अन्य पदार्थों के मिश्रण से बनी हो सकती हैं। इनके बारे में पता लगना इस बात के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि धरती के गर्भ से गर्मी कैसे बाहर निकलती होगी। इस प्रक्रिया में इन चट्टानों का अहम रोल हो सकता है।