NASA के स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रॉयड से टक्कर का नतीजा Hubble टेलीस्कोप ने खोजा

इस स्पेसक्राफ्ट को पिछले वर्ष 26 सितंबर को जानबूझ कर Dimorphos से टकराया गया था जिससे इसका रास्ता बदला जा सके।

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 26 जुलाई 2023 15:57 IST
ख़ास बातें
  • Hubble स्पेस टेलीस्कोप ने इस टक्कर के असर का पता लगाया है
  • यह स्पेसक्राफ्ट लगभग 14,000 मील प्रति घंटा की स्पीड पर टकराया था
  • इससे बड़े आकार के पत्थर बिखरे हैं

यह स्पेसक्राफ्ट लगभग 14,000 मील प्रति घंटा की स्पीड पर एस्ट्रॉयड से टकराया था

पिछले वर्ष अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के DART स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रॉयड Dimorphos से टक्कर हुई थी। Hubble स्पेस टेलीस्कोप ने इस टक्कर के असर का पता लगाया है। इस स्पेसक्राफ्ट को पिछले वर्ष 26 सितंबर को जानबूझ कर Dimorphos से टकराया गया था जिससे इसका रास्ता बदला जा सके। 

एस्ट्रोनॉमर्स ने Hubble टेलीस्कोप के इस्तेमाल से ऐसे बड़े पत्थरों को खोजा है जो आधे टन के वजन वाले DART स्पेसक्राफ्ट के Dimorphos से टकराने के बाद निकले हो सकते हैं। NASA ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि यह स्पेसक्राफ्ट लगभग 14,000 मील प्रति घंटा की स्पीड पर एस्ट्रॉयड से टकराया था। Hubble टेलीस्कोप से मिली इमेजेज से पता चलता है कि इस टक्कर से 37 बोल्डर या बड़े पत्थर कॉस्मॉस में गए हैं। इन पत्थरों का आकार एक मीटर से सात मीटर तक का है। एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया है कि खतरनाक एस्ट्रॉयड्स का रास्ता बदलने के लिए ऐसी किसी टक्कर से धरती की ओर भी ये पत्थर आ सकते हैं। 

हालांकि, Dimorphos से निकले पत्थरों से धरती को कोई खतरा नहीं है क्योंकि ये एस्ट्रॉयड से लगभग एक किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर दूर जा रहे हैं। यह स्पीड एक बड़े कछुए के चलने के लगभग समान है। इस महीने बिलिनेयर Elon Musk की कंपनी SpaceX की ओर से लॉन्च किए गए एक रॉकेट से धरती के पास मौजूद Ionosphere में अस्थायी गड्डा बन गया है।  SpaceX ने 19 जुलाई को अमेरिका में कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से Falcon 9 रॉकेट को लॉन्च किया था। 

इसके लॉन्च की फोटोज में एक हल्की लाल रोशनी दिख रही है। बोस्टन यूनिवर्सिटी में स्पेस फिजिसिस्ट, Jeff Baumgardner ने spaceweather.com को बताया कि लाल रंग की इस रोशनी से आइनोस्फेयर में एक गड्डा होने का पता चल रहा है। उनका कहना था, "धरती की सतह से 200 से 300 किलोमीटर ऊपर जब रॉकेट अपने इंजन को बर्न करते हैं तो इसकी आशंका रहती है। इसमें दिख रहा है कि दूसरे स्टेज के इंजन की बर्निंग में ऐसा हुआ है।" अंतरिक्ष के किनारे पर मौजूद आइनोस्फेयर आयन्स कहे जाने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स से भरा होता है। आइनोस्फेयर का काफी महत्व है क्योंकि यह कम्युनिकेशन और नेविगेशन में इस्तेमाल होने वाली रेडियो वेव्स को मॉडिफाई करता है। इसमें गड्डा बनने से GPS सिस्टम्स पर असर हो सकता है और लोकेशन की सटीकता में कुछ फीट तक का बदलाव हो सकता है। 
 
 

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