हमारी आकाशगंगा में स्‍टार सिस्‍टम के विस्‍फोट से बन सकता है सुपरनोवा

HD 74438 स्‍टार सिस्टम की खोज साल 2017 में हुई थी। इसमें तारों की एक जोड़ी है, जो एक-दूसरे की परिक्रमा करती है।

हमारी आकाशगंगा में स्‍टार सिस्‍टम के विस्‍फोट से बन सकता है सुपरनोवा

स्‍टडीज से पता चला है कि HD 74438 स्‍टार सिस्‍टम ऐसी सभी प्रणालियों में सबसे छोटा है।

ख़ास बातें
  • खगोलविद किसी भी संभावित सुपरनोवा विस्फोट पर नजर रखते हैं
  • इनका असर पूरे ब्रह्मांड पर पड़ता है
  • इसी कोशिश में रिसर्चर्स को एक चौगुने स्‍टार‍ सिस्‍टम का पता चला है
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हमारा सौर मंडल एक सिंगल स्टार सिस्टम है। लेकिन यह हमारी आकाशगंगा के सभी स्‍टार सिस्‍टम्‍स के लिए जरूरी सच नहीं है। हमारी आकाशगंगा में कई मल्टी-स्टार सिस्टम हैं। इनमें से ज्‍यादातर बाइनरी सिस्टम हैं, जिनमें दो तारे शामिल हैं। कुछ सिस्‍टम ऐसे भी हैं, जिनमें दो से ज्‍यादा तारे हैं। जब बात तारों की आती है, तो जिक्र सुपरनोवा का भी होता है। सुपरनोवा किसी तारे की लास्‍ट स्‍टेज होती है, जिसके बाद वह उसमें विस्‍फोट हो जाता है। कुल मिलाकर कहें, तो जब किसी तारे में विस्‍फोट होता है, तो वह बहुत अधिक चमकदार हो जाता है। इसे सुपरनोवा कहते हैं।

खगोलविद किसी भी संभावित सुपरनोवा विस्फोट पर नजर रखते हैं, क्योंकि इनका असर पूरे ब्रह्मांड पर पड़ता है। इसी कोशिश में रिसर्चर्स की एक टीम को एक चौगुने (quadruple) स्‍टार‍ सिस्‍टम के बारे में पता चला है, जिसे HD 74438 के रूप में जाना जाता है। यह एक नए चैनल को रिप्रजेंट कर सकता है, जिससे ब्रह्मांड में थर्मोन्यूक्लियर सुपरनोवा विस्फोट हो सकते हैं।

HD 74438 स्‍टार सिस्टम की खोज साल 2017 में हुई थी। इसमें तारों की एक जोड़ी होती है, जो एक-दूसरे की परिक्रमा करती है। इसके साथ ही दो और तारों की जोड़ी भी पास में ही होती है। स्‍टडीज से पता चला है कि HD 74438 स्‍टार सिस्‍टम ऐसी सभी प्रणालियों में सबसे छोटा है। यह सिर्फ 43 मिलियन वर्ष पुराना है। अब न्यूजीलैंड में कैंटरबरी माउंट जॉन ऑब्जर्वेटरी यूनिवर्सिटी के खगोलविदों को पता चला है कि यह स्‍टार सिस्‍टम, चार गुरुत्वाकर्षण से बंधे तारों से बना है।

नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित स्‍टडी में वैज्ञानिकों ने बताया है कि यह बाहरी बाइनरी सिस्टम के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से इंटरनल बाइनरी की कक्षाओं में बदलाव हो रहा है। इससे यह और अनोखा होता जा रहा है। रिसर्चर्स ने भविष्य में तारों की कक्षाओं को सिम्‍युलेट करने की कोशिश की। उन्होंने पाया कि इस तरह के गुरुत्वाकर्षण डायनैमिक्‍स से एक या कई तरह टकराव हो सकते हैं। इससे तारों के मृत होने समेत कई घटनाएं हो सकती हैं और ऐसे तारे थर्मोन्यूक्लियर सुपरनोवा का कारण बन सकते हैं। हालांकि यह भविष्‍य में होने वाली घटनाएं हैं, जिन पर वैज्ञानिक और गहराई रिसर्च कर रहे हैं। आने वाले वक्‍त में हमें और जानकारी मिलने की उम्‍मीद है।  
 
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