दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजर इन दिनों सूर्य में हो रही गतिविधियों पर है। अपने 11 साल के सौर चक्र से गुजर रहा सूर्य बेहद एक्टिव फेज में है। हाल ही में इसमें एक सनस्पॉट का पता चला था, जिसका आकार पृथ्वी के बराबर माना जा रहा है। इसके चलते सूर्य में विस्फोट हो रहे हैं और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और सोलर फ्लेयर्स निकल रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसी स्पेसक्राफ्ट का सूर्य के नजदीक जाना भी खतरनाक हो सकता है, लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) ने बेहद नजदीक से सूर्य को पार किया है। इसके बाद से वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, पार्कर सोलर प्रोब, मंगलवार को सूर्य की सतह के 85 लाख किलोमीटर अंदर आया। यह सूर्य के साथ इसका 13वां नजदीकी अप्रोच था। यह नजदीकी अप्रोच ऐसे वक्त में हुआ है, जब सूर्य बेहद सक्रिय है। हाल ही में कई सौर फ्लेयर्स और भू-चुंबकीय तूफान इससे रिलीज हुए हैं। ऐसा पहली बार है, जब सूर्य को इस स्थिति में देखने के लिए पार्कर सोलर प्रोब उसके नजदीक आया है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह स्पेसक्राफ्ट इस बार सूर्य में हुए किसी बड़े विस्फोट को कैच कर सकता है।
मिशन को मैनेज करने वाली जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी (JHUAPL) के पार्कर सोलर प्रोब प्रोजेक्ट की साइंटिस्ट नूर रौफी ने कहा कि इससे पहले किसी ने भी सोलर इवेंट के दौरान सूर्य के इतने करीब से उड़ान नहीं भरी है। आने वाला डेटा पूरी तरह से नया होगा और हम निश्चित रूप से इससे बहुत कुछ सीखेंगे।
साल 2018 में जब पार्कर सोलर प्रोब को
लॉन्च किया था, तो सूर्य में ऐसी कोई हलचल नहीं थी और वह शांत था। अब सोलर मैक्सिमम की अवधि आ रही है, जो साल 2025 में होने का अनुमान है। अच्छी बात यह है कि मौजूदा नजदीकी अप्रोच के बाद भी पार्कर सोलर प्रोब के पास 11 मौके और बचे हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में भी यह स्पेसक्राफ्ट कुछ और बेहतर सौर घटनाओं को हमारे सामने लाएगा।
नूर रौफी ने कहा कि सौर हवाओं और सूर्य के कोरोना के बारे में हमारा दृष्टिकोण अब बिल्कुल अलग होगा। हम यह देखने के लिए बहुत उत्सुक हैं कि हम आगे क्या सीखेंगे। गौरतलब है कि सूर्य का बाहरी वातावरण कोरोना, पार्कर के के आब्जर्वेशन का प्राइमरी टार्गेट है।