डॉग लवर्स के साथ अक्सर ऐसा होता है, जब उन्हें उनके डॉगी को घर पर अकेला छोड़कर कुछ देर के लिए बाहर जाना पड़ता है। मुमकिन है कि फ्यूचर में जब डॉग लवर्स घर से दूर जाएंगे, तब वह अपने डॉगी का हालचाल भी ले पाएंगे। यह मुमकिन होगा आपके और आपके डॉगी के बीच वीडियो कॉल से। यह कॉल कोई और नहीं, बल्कि आपका डॉगी ही करेगा। ग्लासगो यूनिवर्सिटी की एक रिसर्चर ने ऐसी डिवाइस बनाई है, जो पालतू डॉगी को अपने मालिकों के साथ कम्युनिकेट करने के काबिल बनाएगी। यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग साइंस में एनिमल-कंप्यूटर इंटरैक्शन की विशेषज्ञ डॉ. इलीना हिर्स्कीज-डगलस, कुछ समय से अपने 10 साल के लैब्राडोर के लिए डिवाइसेज का निर्माण कर रही हैं। इसी का नतीजा है, डॉगफोन। यह एक ऐसी डिवाइस है जिसे हिर्स्कीज-डगलस ने फिनलैंड में आल्टो यूनिवर्सिटी के अपने साथियों की मदद से डिवेलप किया है। यह डिवाइस डॉगी को अपने मालिक को वीडियो कॉल करने की इजाजत देती है।
यूनिवर्सिटी की तरफ से पोस्ट किए गए एक
वीडियो में हिर्स्कीज-डगलस कहती हैं कि डॉगीज को कॉल का जवाब देने के लिए ट्रेंड किया गया है, लेकिन हकीकत में कोई नहीं जानता कि वीडियो कॉल पर कंट्रोल होने पर डॉगी क्या करेगा। वास्तव में यह डिवाइस सिर्फ इसे फ्लिप करने के लिए डिजाइन की गई थी और यह देखने के लिए बनाई गई थी कि एक डॉगी क्या करेगा, अगर उसके पास वीडियो और इंटरनेट पर कंट्रोल होता है।
उनका कहना है कि मौजूदा पेट मार्केट में ऐसी बहुत सारी टेक्नॉलजीस हैं, जो लोगों को अपने डॉगी को विडियो कॉल करने का ऑप्शन देती हैं, लेकिन असलियत यह है कि डॉगीज का इस पर कोई कंट्रोल नहीं है।
डॉगफोन एक गेंद की तरह दिखता है, जिसमें एक्सेलेरोमीटर लगा है। जब कोई डॉगी उसे उठाता और हिलाता है, तो एक्सेलेरोमीटर उस एक्टिविटी को भांप लेता है और घर में मौजूद लैपटॉप पर विडियो कॉल शुरू कर देता है। यह डॉगी को उनके मालिक को देखने और बात करने की इजाजत देता है। डॉगी का मालिक भी डिवाइस पर कॉल कर सकता है और डॉगी के पास यह ऑप्शन है कि वह जवाब दे या फिर कॉल को अनसुना कर दे।
हिर्स्कीज-डगलस ने अपने डॉगी पर डॉगफोन के टेस्टिंग के बाद कहा कि उन्होंने इसे कई हफ्तों तक इस्तेमाल किया और जब भी उनके डॉगी को लंबे वक्त के लिए घर पर रहना पड़ा हो, उसे यह इस्तेमाल करने के लिए दिया।
हिर्स्कीज के मुताबिक, शुरुआत में यह सब उनके लिए काफी एक्साइटिंग था, लेकिन जब उनके डॉगी का फोन नहीं आता, तो वह चिंतित हो जाती थीं। हिर्स्कीज ने बताया कि उनका डॉगी भी इस डिवाइस के साथ शुरुआत में थोड़ा भ्रमित हुआ, लेकिन थोड़े वक्त बाद वह डिवाइस के साथ तालमेल बैठा चुका था।
हिर्स्कीज-डगलस का कहना है कि इस प्रयोग से उन्हें यह समझाया है कि हम जानवरों के लिए टेक्निक को बहुत अलग तरीके से बना सकते हैं। जानवर, टेक्नॉलजी के एक्टिव यूजर्स बन सकते हैं। वे टेक्नॉलजी को कंट्रोल कर सकते हैं। डॉग टेक्नॉलजी के फ्यूचर को लेकर हमारी सोच को वास्तव में बदलने की जरूरत है।