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मंगल ग्रह से ऐसे दिखते हैं पृथ्वी और चंद्रमा, NASA की इस अदभुत तस्वीर में देखें

NASA ने इस तस्वीर को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर किया गया है।

मंगल ग्रह से ऐसे दिखते हैं पृथ्वी और चंद्रमा, NASA की इस अदभुत तस्वीर में देखें

Photo Credit: Twitter (@NASAMars)

NASA के मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर ने 2005 में केप कैनावेरल से उड़ान भरी थी

ख़ास बातें
  • NASA के मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर ने 2005 में केप कैनावेरल से उड़ान भरी थी
  • तस्वीर लेते समय पृथ्वी मंगल ग्रह से 142 मिलियन किलोमीटर
  • इस तस्वीर का स्केल 142 किलोमीटर (88 मील) प्रति पिक्सल है
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अंतरिक्ष से पृथ्वी और चंद्रमा कैसे दिखते हैं, यह तो आपने कई बार देखा होगा, लेकिन क्या आपने मंगल ग्रह से पृथ्वी और चंद्रमा का नाज़ारा देखा है? अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने अकसर खूबसूरत और हैरान करने वाली तस्वीरों को शेयर करता है और कुछ ऐसा ही एजेंसी ने एक बार फिर किया है। NASA ने अपने मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर पर हाई रेजोल्यूशन इमेजिंग साइंस एक्सपेरिमेंट (HiRISE) कैमरे से ली गई पृथ्वी और चंद्रमा की एक तस्वीर शेयर की है। इसमें आप यह अनुभव कर सकते हैं कि मंगल ग्रह से हमारी पृथ्वी और चंद्रमा कैसे दिखते हैं। 

NASA ने इस तस्वीर को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर किया गया है। पोस्ट में नासा ने लिखा (अनुवादित), "मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर ने पृथ्वी और चंद्रमा की इस झलक को कैद किया है। हमारे सात में से प्रत्येक रोबोट अब मंगल ग्रह पर काम कर रहे हैं, वास्तव में एक #NASAEarthling है, जो हमारी आंखों के रूप में कार्य करते हैं क्योंकि वे लाल ग्रह का पता लगाते हैं - हमारे नीले ग्रह के लिए हमारी समझ और प्रशंसा को गहरा करते हैं।"
 

तस्वीर के अलावा, एजेंसी ने पुराना ब्लॉग पोस्ट भी शेयर किया है, जिससे पता चलता है कि यह तस्वीर मूल रूप से 3 अक्टूबर, 2007 को ली गई थी। नासा के ब्लॉग से आगे पता चलता है कि जिस समय तस्वीर ली गई थी, उस समय पृथ्वी मंगल से 142 मिलियन किलोमीटर (88 मिलियन मील) दूर थी, जिससे HiRISE तस्वीर को 142 किलोमीटर (88 मील) प्रति पिक्सल का स्केल दिया गया।

नासा का कहना है कि इसका फेज़ एंगल 98 डिग्री था, जिसका मतलब है कि रोशनी पृथ्वी की डिस्क और चंद्रमा की डिस्क के आधे से भी कम में थी। ब्लॉग कहता है कि (अनुवादित) "हम पृथ्वी और चंद्रमा को फुल डिस्क रोशनी में भी कैद कर सकते हैं, लेकिन तभी जब वे मंगल ग्रह से सूर्य के विपरीत दिशा में हों, लेकिन तब रेंज बहुत अधिक होगी और तस्वीर में डिटेल्स कम दिखेगी।"

NASA के मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर ने 2005 में केप कैनावेरल से उड़ान भरी थी। इसे लाल ग्रह पर पानी की तलाश के सबूत खोजने के लिए भेजा गया था। मंगल ग्रह पर सात महीने के क्रूज और अपनी विज्ञान कक्षा तक पहुंचने के लिए छह महीने के एयरोब्रेकिंग के बाद, ऑर्बिटर ने अपने साइंस टूल्स के साथ मंगल ग्रह पर पानी के इतिहास की खोज शुरू कर दी। मंगल ग्रह की सतह की अत्यधिक क्लोज-अप फोटोग्राफी के लिए ये टूल्स ज़ूम करते हैं और खनिजों का विश्लेषण करते हैं, पानी की तलाश करते हैं, और यह पता लगाते हैं कि वातावरण में कितनी धूल और पानी वितरित होती है।
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नितेश पपनोई Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech products like smartphones, headphones, and smartwatches. At Gadgets 360, he is covering all ...और भी
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