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Nasa के स्‍पेसक्राफ्ट का रिकॉर्ड, सौर विस्‍फोट की ‘चपेट’ में आकर भी बच गया! देखें वीडियो

Nasa Parker solar probe : घटना पिछले साल सितंबर महीने की बताई जा रही है। सूर्य से निकले कोरोनल मास इजेक्‍शन के दौरान यह सूर्य के बेहद करीब था।

Nasa के स्‍पेसक्राफ्ट का रिकॉर्ड, सौर विस्‍फोट की ‘चपेट’ में आकर भी बच गया! देखें वीडियो

Photo Credit: Nasa

घटना से जो डेटा हासिल हुआ, वह CME के प्रारंभिक चरण और सौर प्‍लाज्‍मा की डिटेल स्‍टडी करने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकता है।

ख़ास बातें
  • नासा के पार्कर सोलर प्रोब को मिली कामयाबी
  • अबतक के सबसे करीबी सीएमई को किया रिकॉर्ड
  • पिछले साल सितंबर में आया था सौर तूफान की चपेट में
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के पार्कर सोलर प्रोब (PSP) ने रिकॉर्ड बनाया है! एक सौर विस्‍फोट के दौरान इसने सूर्य के बेहद नजदीक से उड़ान भरी। ऐसा करने वाला यह पहला स्‍पेसक्राफ्ट बन गया है। घटना पिछले साल सितंबर महीने की बताई जा रही है। सूर्य से निकले कोरोनल मास इजेक्‍शन (CME) के दौरान यह सूर्य के बेहद करीब था। घटना से जो डेटा हासिल हुआ, वह CME के प्रारंभिक चरण और सौर प्‍लाज्‍मा की डिटेल स्‍टडी करने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकता है। पार्कर सोलर प्रोब को साल 2018 में लॉन्‍च किया गया था। 

नासा के अनुसार, सीएमई यानी कोरोनल मास इजेक्‍शन अरबों टन प्‍लाज्‍मा को बाहर की ओर फेंकते हैं, जो 100 से 3 हजार किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से आगे बढ़ते हैं। यह अपने रास्‍ते में आने वाली चीजों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पृथ्‍वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराने के बाद इनकी चपेट में आकर सैटेलाइट्स तक बर्बाद हो सकते हैं।
 

सीएमई को और आसान भाषा में समझना हो तो, ये सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्‍तार होता है और अक्‍सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो ये ग्रहों के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्‍वी की ओर होती है, तो ये जियो मैग्‍नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है। पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। पृथ्‍वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी ये खतरे में डाल सकते हैं। 

बहरहाल, पार्कर सोलर प्रोब ने पिछले साल 5 सितंबर को सीएमई की घटना को कैद किया था। पार्कर में लगे SWEAP इंस्‍ट्रूमेंट ने 1,350 किलोमीटर प्रति सेकंड की स्‍पीड तक ट्रैवल करने वाले पार्टिकल्‍स को देखा। इससे जुड़ी स्‍टडी ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' में पब्लिश हुई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सीएमई सूर्य में अबतक देखा गया सबसे नजदीकी सीएमई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, पार्कर सोलर प्रोब जिस जगह पर है, वहां इतना बड़ा सीएमई पहले नहीं देखा गया था।  

स्‍टडी में यह भी बताया गया है कि सीएमई के नुकसान से बचने के लिए पार्कर सोल प्रोब की हीट शील्ड, रेडिएटर्स और थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम ने उसके टेंपरेचर को मेंटेन किया। 

सूर्य के बारे में वैज्ञानिक बहुत अधिक नहीं जान पाए हैं। हाल के वर्षों में सौर घटनाओं में तेजी आई है। इसकी वजह है सौर चक्र, जिसने सूर्य को उत्तेजित कर दिया है। इसे सोलर मैक्सिमम कहा जाता है। सूर्य में हो रही इन घटनाओं का दौर साल 2025 तक जारी रहेगा। 
 
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