अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) का आर्टिमिस 1 मिशन (Artemis 1) सफलता के साथ आगे बढ़ रहा है। जानकारी के अनुसार, नासा के ओरियन स्पेसक्राफ्ट ने सोमवार को चंद्रमा के बेहद नजदीक से उड़ान भरी। इसने चंद्रमा की सतह को 81 मील के दायरे से क्रॉस किया। इस स्पेसक्राफ्ट में कोई अंतरिक्ष यात्री मौजूद नहीं है। मिशन को 16 नवंबर को लॉन्च किया गया था। तब से यह चंद्रमा का सफर कर रहा है और यह यात्रा अभी 20 दिन और चलेगी।
नासा में ओरियन प्रोग्राम मैनेजर हॉवर्ड हू ने सोमवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान
कहा कि वीकल अपना काम कर रहा है। मिशन का एक मकसद यह भी परखना है कि ओरियन स्पेसक्राफ्ट अपने डिजाइन के हिसाब से काम कर रहा है या नहीं। कहीं इसमें किसी बदलाव की जरूरत तो नहीं। इसके बाद ही इस स्पेसक्राफ्ट में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने पर फैसला किया जाएगा। मिशन साल 2024 तक लॉन्च हो सकता है। यह तीसरा आर्टिमिस मिशन होगा, जिसमें ओरियन स्पेसक्राफ्ट के साथ-साथ एक स्पेसएक्स वीकल भी होगा। यह चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्रियों को लैंड कराएगा।
नासा ने संभावना जताई है कि इस दशक के अंत तक इंसान चंद्रमा पर लंबे समय के लिए रहने लगेगा। हॉवर्ड हू ने कहा कि आर्टेमिस मिशन हमें एक स्थायी प्लेटफॉर्म और ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में सक्षम बनाता है। यह हमें सीखने की अनुमति देता है कि उस डीप स्पेस एनवायरनमेंट में कैसे काम किया जाए। हॉवर्ड हू ने कहा कि हम चंद्रमा पर एक स्थायी कार्यक्रम की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने ओरियन स्पेसक्राफ्ट की ओर इशारा करते हुए कहा कि यही वह वीकल होगा जो इंसान को दोबारा चांद पर ले जाएगा।
ओरियन स्पेसक्राफ्ट अपना सफर तय कर रहा है। यह अभी तक सटीक दिशा में आगे बढ़ रहा है। नासा के अनुसार, ओरियन ने 3 लाख 74 हजार 467 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी। रविवार तक यह चंद्रमा से 63 हजार 570 किलोमीटर दूर था। यह स्पेसक्राफ्ट लगभग 600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रहा है। नासा चाहती है कि भविष्य में खगोलविद चंद्रमा पर कम से कम दो महीने रहें। लंबे समय तक चांद पर रहने और वहां खोज करने से वैज्ञानिक सफलताएं मिल सकती हैं।
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