मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत तलाशने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पर्सवेरेंस रोवर (Perseverance rover) को भेजा है। यह रोवर वहां 45 किलोमीटर चौड़े ‘जेज़ेरो क्रेटर' से सैंपल्स इकट्ठा कर रहा है। इन सैंपल्स को पृथ्वी पर लाया जाएगा। शुरुआती योजना के मुताबिक साल 2026 तक एक लैंडर (SRL) भेजा जाना था और साल 2031 तक सैंपल्स को पृथ्वी पर लाया जाना था। लेकिन अब यह टाइमलाइन थोड़ा आगे बढ़ गई है। नासा ने ऐलान किया है कि वह अपने प्लान में एक और लैंडर को शामिल कर रही है। इस वजह से SRL की लॉन्च डेट को साल 2028 के लिए शिफ्ट कर दिया गया है और सैंपल रिटर्न 2033 तक हो सकेगा।
पर्सवेरेंस रोवर मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर रीजन में काम कर रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अरबों साल पहले यहां एक झील और एक नदी डेल्टा था। सैंपल्स को इकट्ठा करने के लिए रोवर इस रीजन की सतह को खरोंच रहा है और सैंपल जुटा रहा है। इन्हें पृथ्वी पर लाने के बाद वैज्ञानिक जान पाएंगे कि मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत हैं या नहीं।
इस पेचीदा मिशन के तहत पहले साल 2026 में SRL को NASA मार्स एसेंट व्हीकल (MAV) और एक ESA-निर्मित फेच रोवर को मंगल ग्रह पर ले जाना था। फेच रोवर को पर्सवेरेंस द्वारा लिए गए सैंपल कंटेनर को MAV में पहुंचाना था। इसके बाद यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का अर्थ रिटर्न ऑर्बिटर MAV से सैंपल लेकर साल 2031 तक पृथ्वी पर वापस आता।
लेकिन अब नासा डुअल-लैंडर आर्किटेक्चर का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। इस वजह से पहले से तय
तारीखें आगे बढ़ गई हैं। यानी SRL की लॉन्च डेट को साल 2028 के लिए शिफ्ट कर दिया गया है और सैंपल रिटर्न 2033 तक हो सकेगा। नासा का कहना है कि इससे मिशन की सफलता की संभावना बेहतर होगी।
वैसे यह इकलौता मिशन नहीं है, जिसमें नासा ने देरी की है। उसकी एक और महत्वाकांक्षी योजना- आर्टेमिस I की टाइमलाइन भी आगे बढ़ती जा रही है। आर्टिमिस मिशन के तहत एक बार फिर से इंसानों को चंद्रमा पर भेजने की योजना है। यह मिशन पिछले साल नवंबर में लॉन्च होने वाला था, लेकिन अब इस साल गर्मियों का वक्त देखा जा रहा है।