अंतरिक्ष में महीनों से फंसे होने के बावजूद खुश हैं सुनीता विलियम्स

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के इस मिशन में विलियम्स के साथ गए एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore भी ISS पर मौजूद हैं। उनका यह मिशन आठ महीने के लिए बढ़ गया है

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Written by गैजेट्स 360 स्टाफ, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 16 सितंबर 2024 21:30 IST
ख़ास बातें
  • NASA के इस मिशन में विलियम्स के साथ एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore भी हैं
  • विलियम्स ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को एक 'खुशगवार स्थान' बताया
  • कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण अंतरिक्ष में उनका स्टे बढ़ गया है

ये एस्ट्रोनॉट अगले वर्ष फरवरी में SpaceX की Crew-9 फ्लाइट से वापसी कर सकते हैं

अंतरिक्ष में जून में आठ दिन के मिशन पर गई भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट Sunita Williams तकनीकी मुश्किलों के कारण इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर फंस गई हैं लेकिन इसके बावजूद वह खुश हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के इस मिशन में विलियम्स के साथ गए एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore भी ISS पर मौजूद हैं। उनका यह मिशन आठ महीने के लिए बढ़ गया है। 

इन दोनों एस्ट्रोनॉट को लेकर गया Starliner स्पेसक्राफ्ट पिछले सप्ताह धरती पर विलियम्स और Wilmore के बिना वापस आ गया था। ये दोनों एस्ट्रोनॉट अगले वर्ष फरवरी में SpaceX की Crew-9 फ्लाइट से वापसी कर सकते हैं। विलियम्स ने एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस में धरती पर वापसी में हो रही देरी पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने ISS को एक 'खुशगवार स्थान' बताया। विलियम्स का कहना था कि उनके पिछले अनुभव के कारण अंतरिक्ष में जीवन को लेकर एडजस्टमेंट मुश्किल नहीं है। इस बारे में Wilmore ने कहा कि Starliner पर उनकी वापसी को लेकर सहमति नहीं थी। कुछ तकनीकी समस्याओं का समाधान नहीं होने के कारण उनका स्टे बढ़ गया है। Wilmore ने बताया कि Starliner के साथ सुरक्षा से जुड़ी आशंकाओं के मद्देनजर उनकी वर्तमान स्थिति बेहतर के लिए है। 

विलियम्स ने यह माना कि ISS पर उनका स्टे बढ़ने से कुछ तनाव है लेकिन वह मिशन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इन दोनों एस्ट्रोनॉट्स ने अमेरिका में प्रेसिडेंट के लिए आगामी चुनाव में अंतरिक्ष से अपना वोट डालने की इच्छा जताई। इस चुनाव में Donald Trump और  Kamala Harris के बीच मुकाबला है। 

Starliner स्पेसक्राफ्ट को ISS तक पहुंचने में मुश्किलें हो रही थी। इनमें स्पेसक्राफ्ट से हीलियम का लीक भी एक समस्या थी। इस वजह से NASA और Boeing ने इसे बिना एस्ट्रॉनॉट्स के धरती पर लाने का फैसला किया था। पिछले महीने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा था कि NASA के सामने आ रही ये चुनौतियां देश के Gaganyaan मिशन के लिए महत्वपूर्ण सीख होगी। ISRO के प्रमुख, S Somanath ने कहा था कि यह स्थिति गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है। इस ह्युमन रेटेड रॉकेट की पहली टेस्ट फ्लाइट इस वर्ष के अंत में होने की संभावना है। सोमनाथ ने बताया था कि NASA के सामने आ रही चुनौतियों को समझने से ISRO को अपने मिशन की तैयारी करने में सहायता मिलेगी। 
 
 

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