वैज्ञानिकों का कहना है कि एस्टरॉयड 2032 में धरती से टकरा सकता है।
ख़ास बातें
कहा जा रहा है कि एस्टरॉयड की टक्कर चांद से भी हो सकती है।
एस्टरॉयड के चांद से टकराने की संभावना 0.3 प्रतिशत है।
अगर ऐसा हुआ तो चंद्रमा के एक बड़े हिस्से में गहरा गड्ढा हो जाएगा।
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NASA के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक खतरनाक एस्टरॉयड 2024 YR4 के बारे में चेतावनी जारी की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एस्टरॉयड 2032 में धरती से टकरा सकता है। इसके टकराने की संभावना पहले 83 में से 1 की बताई गई थी जो कि अब 43 में से 1 हो गई है। जहां पहले इसके धरती से टकराने की संभावना 1% थी, अब यह बढ़कर 2.3% हो गई है। लेकिन अब इसने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। नई स्टडी के आधार पर कहा गया है कि यह एस्टरॉयड चांद से भी टकरा सकता है। अगर ऐसा होता है चंद्रमा और पृथ्वी पर भारी नुकसान हो सकता है। आइए विस्तार से इसके बारे में जानते हैं।
एस्टरॉयड 2024 YR4 ने वैज्ञानिकों के लिए एक और चिंता खड़ी कर दी है। अब कहा जा रहा है कि इसकी टक्कर चांद से भी हो सकती है। LiveLaw में छपी रिपोर्ट के अनुसार, University of Arizona के Catalina Sky Survey में ऑपरेशन इंजीनियर डेविड रैंकिन ने कहा है कि एस्टरॉयड के चांद से टकराने की संभावना 0.3 प्रतिशत है। अगर ऐसा हुआ तो चंद्रमा के एक बड़े हिस्से में गहरा गड्ढा हो जाएगा, और टकराव से जो मलबा उठेगा वह अंतरिक्ष में फैल जाएगा। यह मलबा पृथ्वी तक भी आ सकता है।
रैंकिन का कहना है कि वर्तमान अनुमान के अनुसार, एस्टरॉयड के चांद से टकराने की स्थिति में 340 हिरोशिमा बम जितनी ऊर्जा आसमान की तरफ उठेगी। यह धमाका इतना बड़ा होगा कि इसे पृथ्वी से भी देखा जा सकेगा। टक्कर के कारण चांद पर 2 किलोमीटर बड़ा गड्ढा बन सकता है। अगर यह धरती से टकराता है तो इसका प्रभाव पूर्वी प्रशांत महासागर, उत्तरी दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, अफ्रीका, अरब सागर और दक्षिण एशिया में देखा जा सकता है।
Asteroid 2024 YR4 को पहली बार 27 दिसंबर 2024 को रिपोर्ट किया गया था। 31 दिसंबर को इसने वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा जब यह नासा की ऑटोमेटेड Sentry रिस्क लिस्ट में दिखने लगा। Sentry रिस्क लिस्ट में धरती के पास मंडरा रहे वे सभी एस्टरॉयड शामिल होते हैं जिनके कभी न कभी धरती से टकराने की संभावना जीरो से ज्यादा होती है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पहले भी अंतरिक्ष से कई ऐसी आफतें धरती की तरफ बढ़ी हैं लेकिन समय के साथ उनकी दिशा बदल गई थी।