प्रमुख खगोलीय घटनाओं में शामिल सूर्य ग्रहण इस वर्ष अंतिम बार 4 दिसंबर को होगा। दक्षिणी गोलार्द्ध में लोग पूर्ण या आंशिक सूर्य ग्रहण देख सकेंगे। चंद्रमा के सूर्य और धरती के बीच एक सीधी रेखा में स्थान लेने पर सूर्य ग्रहण होता है। इससे चंद्रमा की छाया धरती पर पूरी तरह या आंशिक तौर पर सर्य की रोशनी को रोक देती है। चंद्रमा की छाया के मध्य में रहने वाले लोग आसमान के गहरे रंग का होने पर पूर्ण ग्रहण देखते हैं। धरती पर पूर्ण सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को सिर्फ Antarctica में दिखेगा।
इस वर्ष का
अंतिम सूर्य ग्रहण भारत से नहीं दिखेगा। सेंट हेलेना, नामीबिया, लेसोथो, दक्षिण अफ्रीका, साउथ जॉर्जिया एंड सैंडविच आइलैंड्स, क्रोजेट आइलैंड्स, फॉकलैंड आइलैंड्स, चिली, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में लोग आंशिक सूर्य ग्रहण देख सकेंगे। ग्रहण का एरिया बड़ा होने के कारण अलग-अलग रीजन में यह सूर्योदय या सूर्यास्त से पहले, दौरान या बाद में होगा। इसका मतलब है कि सूर्योदय या सूर्यास्त के दौरान ग्रहण देखने के लिए लोगों को क्षितिज स्पष्ट तौर पर नजर आना जरूरी होगा।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी
NASA ने Union Glacier, Antarctica से सूर्य ग्रहण का सीधा प्रसारण करने की
व्यवस्था की है। इसे
YouTube और NASA Live पर स्ट्रीम किया जाएगा। NASA ने बताया है कि यह प्रसारण 12pm IST से होगा। ग्रहण की शुरुआत इसके आधे घंटे बाद होगी। इसके साथ ही NASA ने ग्रहण के दौरान सूर्य को सीधे नहीं देखने की सलाह दी है। ग्रहण को देखने के लिए स्पेशल सोलर व्युइंग या एकलिप्स ग्लासेज पहनने चाहिए।
सूर्य ग्रहण औसत तौर पर प्रत्येक 18 महीनों में धरती पर किसी स्थान पर होता है लेकिन इसकी अवधि कुछ मिनटों की ही होती है। 4 दिसंबर को होने वाला सूर्य ग्रहण 1 घंटा 43 मिनट का होगा। इस वर्ष जून में आंशिक सूर्य ग्रहण हुआ था लेकिन 4 दिसंबर को होने वाला सूर्य ग्रहण अलग है। इसमें चंद्रमा कुछ समय के लिए सूर्य की रोशनी को पूरी तरह रोक देगा। इसे देखने के लिए कुछ खगोलशास्त्री अंटार्कटिका जा रहे हैं। इस दौरान वे अपने इक्विपमेंट के साथ वैज्ञानिक गणनाएं भी करेंगे। इनमें अमेरिका की हवाई यूनिवर्सिटी की एस्ट्रोनॉमर Shadia Rifai Habbal और उनकी टीम शामिल है। इससे पहले भी Shadia और उनकी टीम दुनिया के कई देशों में ग्रहण को देखने के लिए जा चुकी है।