फ्लाइंग कार (Flying car) को फ्यूचर का ट्रांसपोर्ट साधन माना जा रहा है। जिस तरह से दुनिया की आबादी बढ़ रही है और व्हीकलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, उस लिहाज से आने वाले समय में ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या हो सकती है। इसी समस्या से निजात के लिए फ्लाइंग कार (Flying car) को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, और जापान अब इसके एक कदम और नजदीक आ गया है।
दक्षिण पश्चिमी जापान के ओइटा प्रीफेक्चर में
फ्लाइंग कार का टेस्ट फ्लाइट कंडक्ट किया गया है। इसे ओकायामा आधारित रिसर्च ग्रुप Masc ने कंडक्ट किया। यह एक टू सीटर फ्लाइंग कार है जिसे चीन में बनाया गया है। NHK world जापान की
रिपोर्ट के अनुसार, यह ड्रोन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। ट्रायल के दौरान इसमें पहले से प्रोग्राम किए रूट पर इसे चलाया गया। जबकि कंट्रोल सिस्टम पर कोई पायलेट भी मौजूद नहीं था। पहले इसे 30 मीटर हवा में ऊंचाई में उठाया गया और फिर यह समुद्र के ऊपर 36 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर 3.5 मिनट तक चक्कर लगाती रही।
रिसर्च ग्रुप के चेयरमैन किरिनो हिरोशी के मुताबिक, उनका मकसद फ्लाइंग कार को कमर्शियल रूप में विकसित करना है। फ्लाइंग कार भविष्य की टेक्नोलॉजी है जो आने वाले समय में मानव के लिए काफी उपयोगी साबित होने वाली है। फ्लाइंग कार का टेस्ट फ्लाइट सफलतापूर्वक पूरा होना इस बात पर मुहर लगाता है कि भविष्य में
उड़ने वाली कारें आम जनजीवन का हिस्सा होंगी। साथ ही इनकी उपयोगिता इस बात से दोगुनी हो जाती है कि ट्रांसपोर्ट के अन्य व्हीकलों की तुलना में इनका इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च न के बराबर है। जबकि रोड ट्रांसपोर्ट या रेलवे ट्रांसपोर्ट में लागत कई गुना अधिक आती है।
फ्लाइंग कार ट्रांसपोर्टेशन का सबसे बड़ा फायदा समय की बचत में भी होने वाला है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्लाइंग कार बनाने वाली कंपनियों को अभी काफी समय इसके लिए चाहिए होगा, ताकि फ्लाइंग व्हीकल्स को बड़े पैमाने पर बनाया जा सके। इसके लिए डिजाइन और इंजीनियरिंग की चुनौती तो है ही, साथ ही पर्यावरण के अनुसार इनसे होने वाले नुकसानों को भी ध्यान में रखना होगा। साथ ही सेफ्टी क्लियरेंस जैसी चीजें भी ध्यान में रखकर कमर्शियल ऑपरेशन जैसी चीजें साकार हो सकती हैं। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण भी एक अहम मुद्दा इनके साथ जुड़ सकता है। फिर लैंडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी डेवलप करना होगा। इन सभी क्षेत्रों पर काम करके फ्लाइंग कारें भविष्य में मानव की साथी बन सकती हैं, जिसके लिए दुनियाभर में कंपनियां प्रयास कर रही हैं।